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डॉक्टर ने जैसे ही बताया आपको नहीं है ये बीमारी, फिर लड़की की आंखों से आने लगा खून, हुई मौत

एक बीमार युवती को अस्पताल में बताया गया कि उसे कोई जानलेवा बीमारी नहीं है. कुछ देर बाद उसकी आंखों से खून बहने लगा और मौत हो गई. मां ने अस्पताल प्रशासन के रवैये पर एतराज जताया है और अब इस मामले की जांच चल रही है.

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यूके के अस्पताल में लापरवाही से गई युवती की जान (फोटो - Meta AI)
यूके के अस्पताल में लापरवाही से गई युवती की जान (फोटो - Meta AI)

यूके में सोफी वार्ड नाम की एक 20 साल की लड़की को तेज बुखार और कंपकंपी सहित अन्य लक्षणों के साथ अस्पताल ले जाया गया था. डॉक्टर ने बताया कि उसे कोई जानलेवा बीमारी नहीं है. फिर भी 24 घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई. इससे पहले उसकी आंखों से खून निकलने लगा था.
 
सोफी वार्ड को तब भयावह स्थिति में बार्नेट अस्पताल ले जाया गया जब उसकी आंखों से खून बहने लगा. वह जब पहली बार अस्पताल गई थी, तब उसने अपनी मां को बताया था कि उसे बहुत तेज बुखार है और वह कांप रही थी. उसने मेनिन्जाइटिस के संभावित लक्षण बताए थे. सोफी को तुरंत 15 मिनट के अंदर देखे जाने को कहा गया, लेकिन उसे 2 घंटे बाद देखा गया. 

लक्षण के बावजूद बताया- नहीं है मेनिंजाइटिस 
सीटी स्कैन रिपोर्ट आने के बाद सोफी को घर भेज दिया गया. डॉक्टर ने मेनिंजाइटिस नहीं होने की बात बताई थी.  अगली सुबह सोफी को उल्टी होने लगी और हालत खराब हो गई. तब उसकी मां एलिस ने 999 पर कॉल किया और सोफी को अस्पताल ले गई. 

लड़की के आंखों से निकलने लगा खून
इस मामले की अब जांच चल रही है. जांच के दौरान सोफी की मां एलिस ने बताया कि जब उसकी तबीयत बिगड़ी उस वक्त उसकी आंखों से खून बह रहा था. जब वह फिर से अस्पताल लौटी तो उसके शरीर तापमान 39.4 डिग्री सेल्सियस था और वह गंभीर रूप से बीमार थी. लगभग 12 घंटे बाद उसकी दुखद मृत्यु हो गई.

15 मिनट के बजाय दो घंटे के बाद शुरू हुआ इलाज
मां ने कहा कि अगर अस्पताल में सही समय पर उसका इलाज किया जाता तो  सोफी की मौत को टाला जा सकता था. उसे 15 मिनट के अंदर इलाज की आवश्यकता थी, फिर भी हॉस्पिटल के प्रोटोकॉल के कारण उसे 2 घंटे बाद देखा गया. मां ने कहा कि अस्पताल के इलाज करने के तरीके और प्रोटोकॉल में बदलाव आना चाहिए.

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नर्स ने दिया भ्रामक बयान
सोफी का इलाज करने वाली नर्स को जब सबूत दिखाने के लिए बुलाया गया था, तो उसने कन्फ्यूजन की बात बताई.  हालांकि बाद में पता चला कि जब सोफी को अस्पताल लाया गया तो उसका इलाज दो घंटे में नहीं बल्कि 15 मिनट में किया जाना चाहिए था.  नर्स अपने उस समय के फैसले पर कायम रही. लेकिन डॉक्टरों द्वारा दिये गए विवरण से भ्रम की स्थिति बन गई. इसलिए  नर्स के बयान को जांचकर्ता ने भ्रामक और समझ से परे माना. 

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