कहा जाता है कि हमारी परछाई कभी भी हमारा साथ नहीं छोड़ती, मगर साल में दो दिन ऐसे आते हैं, जब दोपहर में कुछ समय के लिए हमारी परछाई हमारा साथ छोड़ देती है. परछाई तब बनती है, जब रोशनी के बीच में कोई वस्तु आ जाती है. इस तरह सूर्य की रोशनी से पैदा हुई परछाई सूर्य के पूर्व से पश्चिम तक चलने पर पश्चिम से पूर्व की ओर खिसकती है.
खगोलशास्त्री दिव्यदर्शन डी. पुरोहित के अनुसार, पृथ्वी के 23.5 डिग्री के झुकाव की वजह से सूर्य 23.5 डिग्री तक जाके वापस आता है. उस दौरान विषुवत रेखा से कर्क रेखा तक सूर्य के जाते समय और वापस कर्क रेखा से विषुवत तक आते समय साल में दो बार उन दोनों के बीच रहने वाली सभी वस्तुओं यानी पेड़, मकान, गाड़ी सब की परछाई गायब हो जाती है. लेकिन यह करिश्मा कर्क रेखा से ऊपर रहने वालों को देखने को नहीं मिलता.
पुरोहित ने बताया कि जब सूर्य का डेक्लिनेसन यानी आकाशीय ढलान हमारे शहर या गांव के अक्षांस से मेल खाता है, जब सूर्य शहर के मध्यांतर रेखा पर आता है तब शहर की सारी परछाई दोपहर में पूरी तरह गायब हो जाती है.
पुरोहित ने कहा कि आम धारणा है कि दोपहर 12 बजे ऐसी स्थिति बनती है, मगर ऐसा नहीं है. जब शहर या गांव के मध्यांतर रेखा पर सूर्य नारायण आते हैं तभी ऐसा होता है. उन्होंने कहा कि वडोदरा में यह स्थिति दो और तीन जून को दोपहर बाद 12.35 बजे बनेगी. जबकि आठ और नौ जुलाई को दोपहर बाद 12.42 बजे वडोदरा में यह स्थिति बनेगी.