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नक्सलियों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल नहीं: चिदंबरम

गृहमंत्री पी चिदंबरम आज नक्सल प्रभावित इलाके लालगढ़ के दौरे पर हैं. यहां वो सुरक्षा घेरे से बाहर आकर पहले तो काफी देर पुलिसकर्मियों से बात की, उसके बाद भी गृहमंत्री ने सुरक्षा घेरे की परवाह नहीं की और चले आए गांववालों से मिलने.

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केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम आज पश्चिम बंगाल के लालगढ़ और मिदनापुर इलाकों के दौरे पर हैं..इन इलाकों में वो नक्सल विरोधी ऑपरेशन ग्रीन हंट की समीक्षा कर रहे हैं. चिदंबरम रविवार को लालगढ़ पुलिस स्टेशन पहुंचे. इसके अलावा वहां सीआरपीएफ कैंप और एक हेल्थ सेंटर का दौरा करने के बाद वो मिदनापुर जाएंगे. खबर है कि लालगढ़ में उन्होंने सुरक्षा घेरा तोड़कर गांववालों से मुलाकात की औऱ बातचीत की.

एक तरफ चिदंबरम लोगों से मिले, तो दूसरी तरफ उनका विरोध भी हुआ. इलाके के दौरे पर चिदंबरम के पहुंचने से पहले माओवादी संगठन पीसीपीए (पीपुल्स कमेटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज) के समर्थकों ने उनके पुतले जलाए. माओवादियों ने वेस्ट मिदनापुर के एसपी मनोज वर्मा के भी पुतले जलाए. उनका आरोप है कि सरकार विकास के मुद्दे से मुंह मोड़ रही है. माओवादियों ने इलाके से सुरक्षा बलों को हटाने और ऑपरेशन ग्रीन हंट खत्म करने की मांग की है.

लालगढ़ के दौरे के बाद चिदंबरम ने साफ कहा कि नक्सलियों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल नहीं होगा. चिदंबरम के मुताबिक नक्सलियों के खिलाफ अभियान को केवल राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बल ही अंजाम देगी. ये पूछे जाने पर कि इस समय नक्सली थोड़ा शांत हैं , इसका क्या मतलब निकाला जाए. चिदंबरम ने कहा कि हो सकता है माओवादी फिर से संगठित हो रहे हों इसलिए इनपर निगरानी की जरुरत है. नक्सलियों के खिलाफ अभियान पर चिदम्बरम ने कहा कि इसके कुछ अच्छे नतीजे आए हैं लेकिन अब भी कुछ कमजोरियां हैं.

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{mospagebreak}पश्चिम बंगाल के नक्सलवाद प्रभावित इलाकों के दौरे पर गए गृह मंत्री पी चिदंबरम ने माओवाद विरोधी अभियान में सेना को शामिल किए जाने से इंकार करते हुए माओवादियों के सामने वार्ता का ताजा प्रस्ताव रखा है. स्थिति की समीक्षा करने के लिए लालगढ़ की यात्रा पर गए चिदंबरम ने मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से वार्ता के दौरान कहा कि इस संबंध में कानून और व्यवस्था बहाल करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है.

चिदंबरम ने नक्सलियों को ‘कायरों’ की संज्ञा दी, जो जंगलों में छिपे हुए हैं. उन्होंने नक्सलियों की आलोचना करते हुए कहा कि वे पीपुल्स कमेटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज (पीसीपीए) की आड़ में अपनी गतिविधियां चला रहे हैं. पीसीपीए ने चिदंबरम की यात्रा का विरोध करने के लिए पश्चिम मिदनापुर, पुरूलिया और बांकुरा में 24 घंटे के बंद की अपील की है.

प्रदेश के शीषर्स्थ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक के बाद चिदंबरम ने पत्रकारों से कहा ‘नहीं, हम नक्सलियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का विचार नहीं कर रहे. नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए केवल प्रदेश पुलिस, प्रदेश सशस्त्र पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाएगा.’

चिदंबरम ने कहा ‘नक्सलियों को हमने वार्ता के लिए न्यौता दिया, लेकिन इसके पहले वे हिंसा छोड़ें. अगर वे वास्तव में विकास चाहते हैं, अगर वे वास्तव में लोगों की समस्याएं सुलझाना चाहते हैं, तो उनका वार्ता के लिए स्वागत है.’ उन्होंने कहा ‘मैंने उनसे कहा कि हम दुनिया की किसी भी चीज पर बात कर सकते हैं, लेकिन उन्हें हिंसा छोड़नी चाहिए.’ पीसीपीए द्वारा नक्सलियों को किसी भी तरह के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि अगर उन्हें वास्तव में कोई समस्या है, तो वह अपने पद का उपयोग करते हुए प्रदेश सरकार और उनके बीच वार्ता सुनिश्चित करेंगे.

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{mospagebreak}गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने डर के कारण माओवादियों का साथ देने वाले ग्रामीणों से भी अपील की कि वे ऐसा न करें. उन्होंने कहा ‘मैंने उनसे अपील की कि वे नक्सलवादियों को किसी तरह का सहयोग न दें. नक्सलवादी लोगों के लिए किसी तरह का विकास नहीं कर सकते.’

चिदंबरम इस बात से भी सहमत हुए कि विकास की कमी के कारण ग्रामीणों के पास असंतुष्ट होने के कारण हैं. चिदंबरम ने कहा ‘मैंने उनसे कहा कि नक्सली आपको मार रहे हैं और आपको लगातार मारते रहेंगे. उनकी समाज में कोई जगह नहीं है.’ चिदंबरम ने संयुक्त बलों के नक्सल विरोधी अभियान के परिणाम को ‘मिश्रित’ की संज्ञा देते हुए कहा कि कुछ ‘कमियों’ को दूर करना जरूरी है.

चिदंबरम ने कहा कि खुफिया रिपोर्टों से संकेत मिला है कि नक्सली लगातार पुर्नगठित हो रहे हैं और उनके खिलाफ लड़ाई के लिए उन पर सतत् निगरानी की जरूरत है. गृह मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल और उड़ीसा एवं झारखंड में नक्सल विरोधी अभियान लंबे समय पहले शुरू होने वाला अभियान था और आगे भी नक्सलवादियों को हराने में दो से तीन साल का समय लग सकता है.

{mospagebreak}चिदंबरम ने कहा ‘इसके लिए कोई तैयार जवाब नहीं है.’ माओवाद प्रभावित इलाकों से संयुक्त बलों की वापसी की संभावना को नकारते हुए उन्होंने कहा कि माओवादी विरोधी अभियान जारी रहेगा.

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गृह मंत्री ने कहा ‘क्या संयुक्त बलों को वापस लेने का कोई फायदा होगा? यह एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया है और इसे पूरा होने में दो से तीन साल का समय लगेगा. आपको धैर्य रखना होगा.’ चिदंबरम ने टिप्पणी की थी कि पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री कार्यालय पर आकर रुकती है, इस पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को इसके बदले सुनिश्चित करना होगा कि जिम्मेदारी पुलिस अधीक्षक और स्टेशन हाउस के अधिकारी के कार्यालय पर जाकर रुके.

उन्होंने कहा ‘अगर जिम्मेदारी कहीं जा कर न रुके, तो यह प्रशासनिक तंत्र की विफलता है.’ पीसीपीए के संदर्भ में चिदंबरम ने कहा कि यह संगठन पुलिस नृशंसताओं के मुद्दे पर दो नवंबर, 2008 को गठित हुआ था.

{mospagebreak}चिदंबरम ने प्रश्न उठाया ‘यह संगठन पुलिस नृशंसताओं के खिलाफ बना था. अब यह माओवादियों के लिए आड़ का काम क्यों कर रहा है? पीसीपीए माओवादियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग क्यों दे रहा है?’ उन्होंने कहा ‘अगर उन्हें किसी भी तरह की परेशानी है, तो मैं इस बात का इच्छुक हूं कि अपने पद का उपयोग करते हुए उनकी प्रदेश सरकार के साथ वार्ता की व्यवस्था करूं.’ गृह मंत्री ने कहा ‘नृशंसता है या नहीं, इस बात पर चर्चा हो सकती है, लेकिन नक्सलियों की मदद करना बहुत बड़ी गलती है, जो वे कर रहे हैं.’ दूसरी ओर उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के पास असंतुष्ट होने के कारण हैं क्योंकि उनके पास शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और राशन संबंधी सुविधाएं नहीं हैं.

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इसके पहले चिदंबरम सुबह लगभग 08.05 पर कोलकाता से बीएसएफ के एक हेलीकॉप्टर से यहां आए. उन्हें एक बुलेट प्रूफ कार में हेलीपैड से लालगढ़ के पुलिस थाने ले जाया गया. माओवादियों के शीषर्स्थ नेता किशनजी के स्वस्थ होने की मीडिया में आईं खबरों के बारे में उन्होंने कहा ‘पुलिस ने मुझे बताया कि वह इस बात से सहमत नहीं हैं कि किशनजी ने कोई साक्षात्कार दिया. पुलिस निश्चित तौर पर और काम कर सकती है और सच खोज निकालेगी.’

पीसीपीए के संदर्भ में चिदंबरम ने कहा कि जेल में बंद उनका नेता छत्रधर महतो और उसका भाई असित महतो ‘नक्सलवादियों की मदद करके लोगों के लिए अच्छा नहीं कर रहे.’ चिदंबरम ने सभी पार्टियों के नेताओं को सलाह दी कि वे लालगढ़ जाएं और ग्रामीणों से बात करें.

माओवादी हिंसा से निपटने के बारे में उन्होंने कहा ‘पश्चिम बंगाल का मिश्रित रिकॉर्ड है और स्थिति में सुधार आना चाहिए.’ चिदंबरम ने कहा ‘पश्चिम बंगाल में कुछ फायदे हुए हैं, लेकिन कुछ कमजोरियां हैं. उड़ीसा और झारखंड की स्थिति सुधरने में अभी समय लगेगा और यह एक समस्या है.’ गृह मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और आंध्रप्रदेश के कई भागों में स्थिति में काफी सुधार है.

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