आमतौर पर देश में सभी जगहों में दशहरे पर रावण दहन के साथ रामलीलाओं का समापन हो जाता है, लेकिन नवाबों की नगरी लखनऊ के चौक में करीब सात दशक पुरानी एक रामलीला की शुरुआत दशहरे के दिन होती है.
लखनऊ के चौक इलाके की पब्लिक रामलीला समिति द्वारा पिछले 75 सालों से दशहरे के दिन से रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. इस समिति का गठन लखनऊ के जाने-माने सराफा कारोबारी किशन दास खुनखुन जी ने किया था. उन्होंने ही इस अनोखी परंपरा की शुरुआत की थी.
समिति के महामंत्री राज कुमार वर्मा ने बताया कि हर साल की तरह इस वर्ष भी हमारी रामलीला की शुरुआत रावण दहन के दिन (14 अक्टूबर) को होगी.
वर्मा बताते हैं, "पहले दिन दूसरी रामलीलाओं की तरह श्रीगणेश वंदना के साथ नारद मोह प्रसंग का मंचन होगा. हमारी रामलीला में रावण का वध 26 अक्टूबर को होगा. रामलीला का समापन 28 अक्टूबर को राम राज्याभिषेक के साथ होगा."
अन्य रामलीलाओं से अलग चौक की रामलीला राजधानी और आस-पास के इलाकों के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है. जब सभी स्थानों पर रामलीला समाप्त हो जाती है तो लोग बड़ी उत्सुकता से चौक की रामलीला का मंचन देखने जाते हैं.
वर्मा कहते हैं, "वैसे तो हमारा हर प्रसंग दर्शकों को बहुत भाता है लेकिन श्रवण कुमार प्रसंग, रावण-बाणासुर प्रसंग यहां की खासियत है. इस रामलीला को दशहरे के दिन शुरू करने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है."
समिति के कोषाध्यक्ष देवेंद्र रस्तोगी बताते हैं, "आमतौर पर जब रामलीलाओं की शुरुआत होती है तो उस समय नवरात्र भी चल रही होती है. शुभ दिन होने के कारण लोग इन दिनों में आभूषणों की खरीदारी काफी ज्यादा करते हैं. रामलीला समिति के संस्थापक खुनखुनजी जो मशहूर सराफा व्यवसायी थे, नवरात्र के दिनों में अपने व्यवसाय में व्यस्त रहते थे. इसीलिए उन्होंने नवरात्र और दशहरे के समापन पर रामलीला शुरू करने की अनोखी परंपरा शुरू की."
रस्तोगी बताते हैं, "चूंकि यह परंपरा पिछले 75 सालों से चली आ रही है, इसलिए हम लोग इसे तोड़ भी नहीं सकते. हम साल दर साल दशहरे के दिन रामलीला शुरू करने की परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं."
पब्लिक रामलीला समिति द्वारा रामलीला का मंचन चौक स्थित लोहिया पार्क में किया जाता है. इस बार लगभग 60 कलाकार इस रामलीला में अभिनय करेंगे. खास बात यह कि इसमें अभिनय करने वाले सारे कालाकर स्थानीय लोग हैं, कोई पेशेवर कलाकार नहीं है.