पाकिस्तान मीडिया का कहना है कि भारत की ‘निजी आध्यात्मिक यात्रा’ पर गए राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी का दौरा मेज़बान देश के इस इशारे के साथ संपन्न हुआ कि ‘हिंदुस्तान का दिल जीतने के लिए अभी और मेहनत करनी होगी.’
पाकिस्तानी मीडिया ने हालांकि यह भी लिखा कि इस यात्रा से दोनों पक्षों के बीच 26/11 के मुंबई हमलों की जांच जैसे विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने के लिए मंच तैयार होना चाहिए.
सभी पाकिस्तानी अखबारों के पहले पन्ने पर मुस्कुराते हुए जरदारी की वह तस्वीर छपी है जिसमें वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हाथ मिला रहे हैं.
राष्ट्रपति की रविवार को एक दिवसीय भारत यात्रा के दौरान सिंह के साथ उनकी मुलाकात के बारे में प्रकाशित रिपोर्टों में कहा गया है कि भारतीय नेता ने जरदारी का पाक दौरे का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है. दूसरी ओर जरदारी ने पाकिस्तान की धरती पर बसे आतंकवादियों के खिलाफ अधिक कार्रवाई की भारत की मांग पर हामी भरी है.
दी एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपने शीषर्क में लिखा है, ‘जेयूडी के साये में, सिंह ने स्वीकार किया पाक का न्यौता.’ उधर प्रभावशाली डान दैनिक ने अपनी रिपोर्ट का शीषर्क लगाया है, ‘प्यार पाने के लिए मेहनत करो, दिल्ली में जरदारी को सबक.’
जरदारी की यात्रा पर द डॉन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राष्ट्रपति ने ‘अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जि़यारत से पहले लज़ीज़ भोज का लुत्फ उठाया लेकिन उनकी भारत की एक दिवसीय निजी यात्रा मेज़बान के इस इशारे के साथ संपन्न हुई कि भारत का प्यार पाने के लिए अभी उन्हें और मेहनत करनी होगी.’
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सिंह ने जरदारी का पाक यात्रा का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है लेकिन साथ ही नई दिल्ली ने अपनी यह मांग दोहरायी है कि ‘इस्लामाबाद 2008 के मुंबई हमले के दोषियों को सजा दे.जो जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद की ओर साफ इशारा है.’
दी न्यूज ने ‘एक निजी यात्रा’ शीर्षक वाले अपने संपादकीय में लिखा है कि पिछले सात सालों में पाकिस्तान के किसी राष्ट्राध्यक्ष की यह पहली भारत यात्रा थी. साथ ही यह भी लिखा है कि ऐसे दो देशों के नेताओं के बीच मुलाकात का इंतजाम कराना आसान नहीं था जो सामान्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय राजनयिक आयोजनों के दौरान ही हाशिये पर आपसी बातचीत कर लेते हैं.
संपादकीय में लिखा गया है कि यह यात्रा पिछले साल दोनों देशों के व्यावसायिक समुदायों के बीच काफी सतर्कता के साथ शुरू हुए कारोबारी रिश्तों का दायरा व्यापक करने के मकसद से की गयी जो आपसी विश्वास बहाली उपायों को मजबूती प्रदान करने का हिस्सा है. हालांकि इसका स्पष्ट जिक्र नहीं किया गया था.
द न्यूज और पाकिस्तान टुडे ने अपने संपादकीयों में जरदारी की इस यात्रा पर आए खर्च को लेकर देश की भीतर हो रही आलोचना को भी जगह दी है.
द न्यूज और पाकिस्तान टुडे ने लिखा है कि जरदारी के साथ एक विशाल प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर गया जिसमें उनका बेटा तथा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी भी शामिल हैं जो किसी सरकारी पद पर नहीं होते हुए भी इस दौरे में शामिल थे. मीडिया ने लिखा है कि राष्ट्रपति के प्रतिनिधिमंडल का आकार और उसकी आवाजाही पर हुआ खर्च कुछ सवाल खड़े करता है कि क्या वास्तव में यह ‘निजी’ यात्रा थी.
द डेली टाइम्स ने ‘आध्यात्मिक यात्रा’ शीर्षक वाले संपादकीय में लिखा है कि जरदारी की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने का मंच तैयार होना चाहिए जिनमें मुंबई हमलों की जांच तथा नदी जल बंटवारे का मुद्दा भी शामिल है.
पाकिस्तान टुडे, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून और डेली टाइम्स ने लिखा है कि जरदारी की यात्रा की पूर्व संध्या पर सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन में 124 पाकिस्तानी सैनिकों समेत 135 लोग दब गए हैं. मीडिया ने आह्वान किया है कि दुनिया के सर्वाधिक उंचाई पर स्थित सर्द युद्ध क्षेत्र को सेना मुक्त किया जाना चाहिए.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपने संपादकीय में पीपीपी के नेतृत्व वाली सरकार की सराहना करते हुए लिखा है कि उसने ‘बड़े शानदार तरीके से 26/11 के मुंबई हमलों के बाद क्षतिग्रस्त हुए संबंधों में सुधार किया, जबकि युद्ध सामने नजर आ रहा था.’
मीडिया ने लिखा है, ‘अति महत्वाकांक्षी होने का प्रयास करने के बजाय सरकार ने सतर्कता से व्यापार और नियमित उच्च स्तरीय बैठकों के माध्यम से इंच दर इंच आगे बढ़ते हुए शांति की ओर छोटे छोटे कदम उठाए.’
इसमें लिखा गया है कि सिंह के साथ जरदारी की बैठक ‘इस बात का एक और संकेत है कि दोनों देश स्थायी शांति स्थापित करने की ओर मजबूती से बढ़ रहे हैं’ और दोनों देश ‘भाग्यशाली हैं कि दोनों के पास ऐसे नेता हैं जो शांति प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चारों ओर खतरा नहीं मंडरा रहा है.’