पाकिस्तान की ओर से इस तरह की खबर आई थी कि वर्षों से जेल में बंद सरबजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है, लेकिन अब राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के प्रवक्ता ने स्पष्टीकरण दिया है कि सरबजीत नहीं, बल्कि एक अन्य भारतीय कैदी सुरजीत सिंह को रिहा करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
जरदारी के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने बताया, ‘मेरा मानना है कि कुछ संदेह है. पहली बात यह है कि यह माफी देने का मामला नहीं है. सबसे अहम बात यह कि यह व्यक्ति सरबजीत सिंह नहीं, बल्कि सुरजीत सिंह पुत्र सुचा सिंह है. उसकी सजा 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की सलाह पर राष्ट्रपति गुलाम इसहाक खान ने बदली थी.’
बाबर के मुताबिक कानून मंत्री फारूक नाइक ने गृह मंत्रालय को इसकी सूचना दी है सुरजीत सिंह ने उम्रकैद की सजा पूरी कर ली है और उसे रिहा करके भारत भेजा जाना है.
उन्होंने कहा, ‘अब उसे (सुरजीत सिंह) किसी भी तरह से जेल में रखना गैर कानूनी होगा.’ बाबर ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति जरदारी का कोई हवाला देना प्रसंग से हटकर बात करना होगा.
सुरजीत सिंह फिलहाल लाहौर के कोट लखपत जेल में बंद है. वह बीते 30 साल से पाकिस्तान में कैद है. उसे जनरल जियाउल हक के समय में भारत की सीमा के निकट से जासूसी के आरोप में पकड़ा गया था.
इससे पहले दिन में पाकिस्तान के कुछ चैनलों के हवाले से यह खबर आई थी कि बम विस्फोट के आरोपों में पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है क्योंकि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने उनकी मौत की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दी है. आधिकारिक सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की थी कि सरबजीत की रिहाई के लिए कदम उठाए गए हैं.
उधर, नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने सरबजीत को रिहा करने से जुड़े कथित कदमों के लिए जरदारी को धन्यवाद कहा था. पंजाब में सरबजीत के घर और गांव में भी जश्न मनाया जाने लगा था.
सरबजीत (49) भी लाहौर स्थित कोट लखपत जेल में बंद है. उसे मौत की सजा सुनाई गई थी और वह बीते दो दशक से पाकिस्तान की जेल में बंद है.
सरबजीत को 1990 में पंजाब में कई बम विस्फोटों में कथित तौर पर शामिल रहने के आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई थी. उन बम विस्फोटों में 14 लोग मारे गए थे. सरबजीत ने खुद को निर्दोष बताया था और कहा था कि यह ‘गलत पहचान’ का मामला है.
पाकिस्तान के वैज्ञानिक खलील चिश्ती की रिहाई के बाद सरबजीत ने पिछले महीने राष्ट्रपति जरदारी को फिर से दया याचिका भेजी थी.
दया याचिका में एक दस्तावेज भी था जिस पर एक लाख भारतीय नागरिकों का हस्ताक्षर था जिसमें जरदारी से अपील की गई थी कि उसे चिश्ती के बदले रिहाई दी जाए.