पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की मौत की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है. टीवी चैनलों की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के विधि मंत्रालय ने सरबजीत की रिहाई के लिए गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है जिसे राष्ट्रपति से स्वीकार करते हुए सरबजीत की रिहाई के आदेश दे दिए. सरबजीत की रिहाई की खबर सुनकर उनके घर में जश्न का माहौल है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर सरबजीत ने अपनी कारावास की सजा पूरी कर ली है तो उन्हें रिहा कर दिया जाए.
सूत्र ने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी आधिकारिक प्रस्ताव के बाद विधि मंत्री फारूक नाइक ने गृह मंत्रालय से कहा कि वह सरबजीत की ‘तत्काल’ रिहाई के लिए कदम उठाएं क्योंकि वह पहले ही आजीवन कारावास की सजा काट चुके हैं. सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और पंजाब के गृह मंत्रालय द्वारा जरूरी औपचारिकताएं पूरी किए जाने के बाद 49 वर्षीय सरबजीत को अगले कुछ दिनों में रिहा किया जा सकता है.
फांसी की सजा पाए भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह ने 29 मई को पांचवीं बार पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पास अपनी दया याचिका दाखिल की थी. याचिका में सरबजीत ने कहा है, 'मैं एक ऐसे अपराध के लिए 22 साल जेल में बिता चुका हूं जो मैंने नहीं किया.'
लाहौर में 1990 में हुए बम विस्फोट में शामिल होने के आरोप में 49 वर्षीय सरबजीत को फांसी की सजा मिली थी. सरबजीत की याचिका से कुछ ही दिन पहले भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अजमेर की जेल में बंद पाकिस्तानी माइक्रोबायलॉजिस्ट 82 वर्षीय खलील चिश्ती को मानवीय आधार पर रिहा करने का फैसला दिया था.
जरदारी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अप्रैल में एक खत लिखा था, जिसके बाद चिश्ती को जमानत दे दी गई. इससे पहले उच्चस्तरीय कूटनीतिक वार्ता भी हुई.