प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को सेना प्रमुख वी.के. सिंह से जुड़े विवादों बोलने पर परहेज करते हुए कहा, 'कुछ मौकों पर चुप रहना स्वर्णिम होता है.' प्रधानमंत्री म्यांमार की तीन दिवसीय यात्रा से स्वदेश लौटते समय विशेष विमान में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.
म्यांमार से दिल्ली वापस लौटते हुए प्रधानमंत्री से जनरल सिंह के टीवी चैनलों को दिए हालिया साक्षात्कारों के बारे में पूछा जिसमें उन्होंने सरकार पर आलोचनात्मक टिप्पणियां की थी और आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री को लिखे उनके खत को रक्षा मंत्रालय ने लीक किया था.
बिना विस्तार में गए हुए प्रधानमंत्री ने अपनी गूढ़ टिप्पणी की और अगले सवाल की ओर बढ़ गए.
गौरतलब कि जनरल वी.के. सिंह का उनकी जन्मतिथि को लेकर सरकार से तकरार होती रही है. वह चाहते थे कि उनकी जन्मतिथि 1950 के बजाय 1951 मानी जाए. आखिरकार यह विवाद सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा लेकिन सरकार की दलील ही सही मानी गई. सरकार ने कहा कि उसका इरादा जनरल सिंह को झुकाना नहीं था.
इसके तुरंत बाद जनरल सिंह पूर्वोत्तर में सैन्य अभियान चलाने पर लेफ्टिनेंट जनरल बी.एस. सुहाग को कारण बताओ नोटिस जारी कर एक अन्य विवाद में फंस गए.
सुहाग को सेना प्रमुख के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा था, मगर उत्तराधिकार अंतत: लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह को मिला है.