राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने या न करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए और वक्त दिया है.गौरतलब है केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर फैसले के लिए उच्चतम न्यायालय से और वक्त देने की मांग की थी. जिसे मंजूर कर लिया गया.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करने को कहा था.
दरअसल 2007 में मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने की मांग की थी जिसके बाद पूरा विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. स्वामी के मुताबिक केंद्र सरकार ने पिछले 4 साल में उनकी इस मांग पर ना तो जवाब दिया है और ना ही ऐसी कोई स्टडी करवाई है. लिहाजा स्वामी ने एक बार फिर राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का मुद्दा कोर्ट में उठाया.
दो दिन पहले जस्टिस एच एल दत्तु की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश रावल से कहा था कि वे सरकार से मशविरा कर कोर्ट में अपना रुख साफ करें. आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार को जवाब देना था.
इस बीच तमिनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की है. जयललिता ने कहा है कि राम सेतु के पुरातत्व, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के चलते पिछली बार जताई गई आपत्तियों को देखते हुए वे अपील करती हैं कि केंद्र सरकार बिना देर किए राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की दिशा में कदम उठाएगी.
कहां है राम सेतु?
रामसेतु भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाले समुद्री हिस्से में है. रामेश्वरम और मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की एक श्रृंखला दिखाई पड़ती है. माना जाता है कि यही पौराणिक राम सेतु है जिसे दुनिया एडम्स ब्रिज के नाम से जानती है. कुछ साल पहले सैटेलाइट से लिए गए चित्रों में भी द्वीपों की एक पतली रेखा दिखाई पड़ती है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि ये राम सेतु ही है.
क्या खतरा है राम सेतु पर?
2005 में केंद्र सरकार ने सेतु समुद्रम शिपिंग चैनल प्रोजेक्ट को मंजूरी दी. इस प्रोजेक्ट के तहत राम सेतु के कुछ इलाके को गहरा किया जाना है, ताकि वहां जहाज आसानी से चल सकें. जाहिर है इस प्रोजेक्ट से पौराणिक रामसेतु को नुकसान पहुंचेगा. और इसी बात को लेकर प्रोजेक्ट का विरोध हो रहा है.
पर्यावरण विशेषज्ञ आर के पचौरी की अध्यक्षता वाली कमेटी को ये पता करने का जिम्मा दिया गया है कि क्या सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट की शिपिंग कैनाल राम सेतु को क्षति पहुंचाए बिना दूसरा रास्ते से बनाई जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने इस कमेटी की रिपोर्ट पेश करने की मियाद भी 6 हफ्ते बढ़ा दी है.
केंद्र ने दिया था विवादित हलफनामा
केंद्र सरकार इसके पहले कोर्ट में ये हलफनामा देकर विवाद में फंस चुकी है कि राम सेतु के बारे में वो पौराणिक कहानियों को ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं मान सकती. हालांकि बाद में विवादित हलफनामा वापस भी ले लिया गया.