25 जुलाई को प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति पद की शपथ के साथ ही शुरू हो जाएगी उनकी ‘गुरु’ परीक्षा. सालों से चर्चा में रहे अफजल गुरु का मामला राष्ट्रपति बनते ही प्रणब मुखर्जी की मेज पर होगा. खास बात ये है कि बाल ठाकरे और खुद प्रणब दा के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने इस मामले में फैसला लेने की प्रणब से अपील की है.
अफजल गुरु को संसद हमले में सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा मिली है. लेकिन उसकी फांसी का मामला अभी तक लटका हुआ है. हालांकि प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति चुने जाते ही अफजल गुरु का मामला फिर सुर्खियों में हैं.
प्रणब मुखर्जी को बधाई देने आए उनके बेटे अभिजीत ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि अफजल की फांसी पर जल्द फैसला लिया जाना चाहिए.
इससे पहले प्रणब को राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन देने वाले शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने पहला बम फोड़ा. शिवसेना के मुखपत्र सामना में बाल ठाकरे ने प्रणब मुखर्जी को जीत की बधाई दी है. लेकिन साथ ही अफजल गुरु को फांसी देने की मांग दोहरा दी है. सामना में बाल ठाकरे ने लिखा है कि अफजल गुरु की दया याचिका को प्रणब मुखर्जी खारिज करें और अफजल गुरु को फांसी की सजा दें.
शिवसेना ने पहले भी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की मांग की थी. लेकिन प्रणब दा को समर्थन दिए जाने के चलते इस बार दबाव ज्यादा है. खास बात ये है कि खुद प्रणब मुखर्जी के बेटे ने भी कहा है कि अफजल गुरु की फांसी का फैसला लटकाया नहीं जाना चाहिए.
यानी प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने से पहले ही अफजल गुरु की फांसी का सवाल सिर उठाए खड़ा है. जबकि कांग्रेस ने पहले ही इस मामले पर अपना रुख साफ कर दिया है.
इसीलिए गृह मंत्रालय ने संसद हमले के अफजल गुरु की फांसी की सजा माफ करने की अपील राष्ट्रपति से कर रखी है.
जाहिर है कि शपथ लेने से पहले ही सरकार के संकटमोचक रहे प्रणब दा के सामने संकट खड़ा है. वो भी ऐसा संकट, जिससे दो-दो राष्ट्रपति बचते-बचाते रहे. अब प्रणब मुखर्जी इस संकट से निपटने के लिए कौन सी संजीवनी बूटी लाएंगे इस पर पूरे देश की निगाह रहेगी.