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बच्चों को कहानी सुनाने के लिए माता-पिता के पास नहीं फुर्सत

ब्रिटेन में एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भागदौड़ की व्यस्तता भरी जिंदगी में माता-पिता अपने बच्चों को रात को सोते समय किस्से कहानियां नहीं सुना पाते.

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ब्रिटेन में एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भागदौड़ की व्यस्तता भरी जिंदगी में माता-पिता अपने बच्चों को रात को सोते समय किस्से कहानियां नहीं सुना पाते.

यह अध्ययन एक दूरसंचार कंपनी द्वारा 2000 व्यस्त अभिभावकों पर किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें पाया गया है कि जब माता-पिता अच्छे मिजाज में होते हैं, तो वे कभी-कभार ही अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर अपने बच्चों को कहानियां सुना पाते हैं.

डेली मेल ऑनलाइन ने खबर दी है कि सर्वेक्षण के अनुसार 60 फीसदी अभिभावकों ने कहा कि वे उस समय कहानियां पढ़ते थे, जब वे बच्चे थे, लेकिन इनमें से ही आधे अभिभावक रात होते ही थकान के मारे लाइटें और दरवाजा बंद कर सो जाते हैं. केवल 52 फीसदी लोगों ने कहा कि वे सोते समय अपने बच्चों को कहानियां सुनाते हैं, जबकि 48 फीसदी लोगों ने कहा कि व्यस्त दिनचर्या के कारण वे ऐसा नहीं कर पाते.

सर्वेक्षण में दस फीसदी लोगों ने माना कि रात को सोते समय कहानियां सुनाने से बच्चों के विकास में मदद मिलती है.

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