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भारत में तेजी से बढ़ेगी मुस्लिम आबादी

भारत में वर्ष 2030 तक मुसलनमानों की तादाद कुल आबादी का 16 फीसदी हो सकती है. इसके साथ ही पाकिस्तान, इंडोनेशिया का दुनिया का सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाला देश होने का दर्जा छीन सकता है.

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Muslim crowd
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भारत में वर्ष 2030 तक मुसलनमानों की तादाद कुल आबादी का 16 फीसदी हो सकती है. इसके साथ ही पाकिस्तान, इंडोनेशिया का दुनिया का सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाला देश होने का दर्जा छीन सकता है.

एक अध्ययन में कहा गया है कि अगले दो दशकों में गैर मुसलमानों की तुलना में मुसलमानों की आबादी दोगुना बढ़ने का अनुमान है. गुरुवार को जारी किए गए अध्ययन ‘द फ्यूचर ऑफ द ग्लोबल मुस्लिम पापुलेशन’ में कहा गया है कि अगले दो दशकों में दुनिया भर में मुसलमानों की दर गैर मुसलमानों की दर से दोगुना हो सकती है.

‘पीव फोरम ऑन रिलीजन एंड पब्लिक लाइफ’ द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2030 में मुसलमानों की आबादी का अनुमान 23,6182,000 हो सकता है जो कि कुल भारतीय आबादी का 16 प्रतिशत होगा. वर्ष 2010 में भारत में मुसलमानों की आबादी का अनुमान करीब 177,286,000 रहा जो कि कुल भारतीय आबादी का 14.6 प्रतिशत है. {mospagebreak}

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर वर्तमान चलन जारी रहा तो वर्ष 2030 में दुनिया की 8.3 अरब के आबादी अनुमान में मुस्लिमों का प्रतिशत 26.4 होगा. अनुमान है कि वर्ष 2010 में 6.9 अरब की वैश्विक आबादी में यह प्रतिशत 23.4 रहा. वर्ष 2030 में पाकिस्तान की आबादी 256,117,000 होने का अनुमान है. ऐसा होने पर इंडोनेशिया का अकेला सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाला देश होने का दर्जा छिन जाएगा क्योंकि पाकिस्तान उससे आगे निकल जाएगा.

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वर्ष 2010 में पाकिस्तान में मुसलमानों की आबादी का अनुमान करीब 178,097,000 रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की मुस्लिम आबादी अगले 20 साल में 35 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. इस प्रकार वर्ष 2010 में मुस्लिम आबादी 1.6 अरब थी जो 2030 तक बढ़ कर 2.2 अरब हो जाएगी. अगले दो दशकों में मुसलमानों की औसत सालाना वृद्धि दर 1.5 फीसदी जबकि गैर मुसलमानों की औसत सालाना वृद्धि दर 0.7 फीसदी होने का अनुमान है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक गैर मुस्लिम आबादी की तुलना में मुस्लिम आबादी की दर में तेजी से वृद्धि होने का अनुमान है. इसके बादवजूद अगले दो दशकों में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर पिछले दो दशकों की तुलना में धीमी रह सकती है. वर्ष 1990 से 2010 के दौरान वैश्विक मुस्लिम आबादी 2.2 फीसदी की औसतन सालाना दर से बढ़ी जबकि वर्ष 2010 से 2030 तक यह दर 1.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. {mospagebreak}

पीव के अनुमान, पूर्व की जनांकिकीय प्रवृत्ति और भविष्य में इन प्रवृत्तियों के ्रप्रभावों की कल्पना पर आधारित हैं. अगर वर्तमान प्रवृत्ति जारी रही तो वर्ष 2030 में कम से कम 79 देशों में करीब दस लाख या अधिक मुस्लिम बाशिन्दे रहेंगे. वर्तमान में ऐसे देशों की संख्या 72 है. दुनिया की अधिकतर मुस्लिम आबादी (करीब 60 फीसदी) एशिया प्रशांत क्षेत्र में रहती रहेगी जबकि 20 फीसदी आबादी पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में रहेगी जैसा कि आज हो रहा है.

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रिपोर्ट के अनुसार, अगले 20 वर्ष में सब सहारा (अफ्रीका) में रह रही विश्व की मुस्लिम आबादी की संख्या बढ़ सकती है. उदाहरण के लिए, कई मुसलमान मिस्र के बजाय नाइजीरिया में रहना चाहते हैं. यूरोप और अमेरिका में मुसलमान अल्पसंख्यक बने रहेंगे लेकिन अनुमान है कि वह इन क्षेत्रों की कुल आबादी का तेजी से बढ़ता भाग बनेंगे. पीव ने कहा कि दुनिया भर में गैर मुस्लिमों की तुलना में मुसलमानों की संख्या तेजी से बढ़ने के पीछे कई कारण हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है ‘आम तौर पर मुस्लिम आबादी में गैर मुस्लिम आबादी की तुलना में जन्म दर अधिक (प्रति महिला अधिक बच्चे) होती है.’ इसमें कहा गया है, ‘इसके अलावा, मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा जल्द ही प्रजनन के मुख्य वर्षों (15 साल से 29 साल की उम्र) में प्रवेश कर जाएगा. मुस्लिम बहुल देशों में स्वास्थ्य में सुधार और अच्छी आर्थिक स्थिति के कारण नवजात और बाल मृत्युदर में औसत से अधिक कमी आई है. अल्प विकसित देशों की तुलना में मुस्लिम बहुल देशों में जीवन प्रत्याशा भी बढ़ी है.’

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