चार सरकारी विभागों के बीच धीमी गति से सरकती फाइल ने राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष पद से सुरेश कलमाडी को हटाने में देर करवा दी. सीबीआइ ने कैबिनेट सचिव से दिसंबर के दूसरे सप्ताह में ही यह अनुरोध कर दिया था कि कलमाडी और महासचिव ललित भनोत को उनके पदों से हटा दिया जाए.
इस प्रस्ताव को एम.एस. गिल के नेतृत्व वाले खेल मंत्रालय को भेजा गया और वहां से फिर इसे विधि मंत्रालय में भेज दिया गया. विधि मंत्रालय से यह प्रस्ताव अटॉर्नी जनरल के पास भेज दिया और अंततः वहां से इस बरखास्तगी पर मुहर लग सकी. फैसले की घोषणा नए खेल मंत्री अजय माकन ने मंत्रालय का पदभार संभालने के बाद एक सप्ताह से भी कम समय के भीतर कर दी.
आयोजन समिति अब भंग हो चुकी है और इसके बाकी बचे सिर्फ दो पदाधिकारियों की बरखास्तगी का कदम घोटालों से दागदार इन खेलों के समापन के लगभग तीन महीने बाद और इसकी जांच सीबीआइ के हाथ में जाने के दो महीने बाद उठाया गया. खेलों में गड़बड़ी को लेकर तीन एफआइआर दर्ज कर चुकी इस जांच एजेंसी का कहना है कि कलमाडी और भनोत 'गवाहों को धमका कर' और 'जांच में दखलंदाजी करके' जांच में अड़ंगे डाल रहे हैं. {mospagebreak}
माकन कहते हैं, ''सीबीआइ का निवेदन मिलने के बाद हमने अटॉर्नी जनरल से एक कानूनी राय ली और फिर यह कदम उठाया.'' ऐसा लगता है कि राष्ट्रमंडल खेल घोटाले के तार दुनिया भर में फैले हुए हैं. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए विदेश मंत्री एस.एम. कृष्ण पर तो उन ठेकेदारों ने जैसे घात लगाकर हमला कर दिया था, जिन्हें राष्ट्रमंडल खेलों के करोड़ों डॉलर के ठेकों का भुगतान नहीं किया गया है.
बकाया बचे 45 भुगतानों को निबटाने के लिए माकन ने 31 जनवरी की अंतिम तिथि निर्धारित की है. वे कहते हैं, ''जब काम का सत्यापन किया जा रहा है और जायज भुगतान किए जा रहे हैं, तब हम ऐसे लोगों को आयोजन समिति में नहीं बनाए रख सकते थे जिनके खिलाफ सीबीआइ ने इतने मजबूत आरोप लगाए हैं.''
कलमाडी कहते हैं कि माकन का आदेश ''अवैध और मनमाना'' है. यह भी हो सकता है कि यह भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति को बचाने के लिए की गई कसरत हो, जो वस्तुतः सारे भारतीय खेल संगठनों का सर्वेसर्वा होता है.
हालांकि माकन ने सफाई दी है कि कलमाडी की बरखास्तगी से भारतीय ओलंपिक संघ में उनकी भूमिका पर असर नहीं पड़ेगा. यह कलमाडी के लिए भले ही एक दिलासे वाली बात हो, लेकिन भारतीय खेलों के लिए तो नहीं ही कही जा सकती.