भीषण गर्मी में भला मेट्रो का सफर किसे पसंद नहीं आएगा, लेकिन मेट्रो की यही खूबी उसकी सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है.
ठसाठस भरी मेट्रो ट्रेन मुसाफिरों की रिकॉर्ड संख्या के साथ नए मुकाम बना रही है, लेकिन साथ ही साथ मुसाफिरों की मुसीबत भी बढ़ रही है. मेट्रो के मुरीद भी अब गुहार लगाने लगे हैं कि इसे भीड़ से बचाओ.
मेट्रो ने जून के महीने में ही मुसाफिरों की संख्या के मामले में नए रिकॉर्ड बनाए हैं. 20 दिन के भीतर ही 6 बार ऐसे मौके आए, जब मेट्रो में सफर करने वालों की संख्या एक दिन में 20 लाख का आंकड़ा पार कर गई. यही नहीं, अभी तक की सबसे ज्यादा राइडरशिप भी 11 जून को रिकॉर्ड की गई, जब एक ही दिन में 20 लाख 94 हज़ार लोगों ने मेट्रो का इस्तेमाल किया.
मेट्रो की औसत मुसाफिर संख्या भी अब 17 लाख 84 हज़ार से बढ़कर 19 लाख के पार पहुंच गई है.
इसे मेट्रो की लोकप्रियता का साइड इफेक्ट कहिए या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बढ़ती ज़रूरत का नतीजा, लेकिन हकीकत यह है कि मेट्रो पर मुसाफिरों का दबाब बढ रहा है और इसने डीएमआरसी की फिक्र भी बढा दी है.
डीएमआरसी के लिए चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि भीड़ बढती जा रही है और उसके पास साधनों की कमी है. साथ ही एक्ज़िट और एंट्री के लिए लंबी लाइन मुसाफिरों का सिरदर्द भी बढा रही है. अब मेट्रो ने अलग-अलग स्टेशनों पर 200 अतिरिक्ट एएफसी गेट लगाने का फैसला किया है. साथ ही कस्टमर केयर सेंटर बढाने की भी योजना है.
इसके बावजूद, मेट्रो के सामने असल चुनौती लोगों को राहत भरा सफर कराने की है, जिसमें बिना धक्कामुक्की और भीड़भाड़ के लोग अपनी मंजिल तक पहुंच पाएं.