रुपये के मूल्य में गिरावट से चिंतित वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक स्थिति संभालने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे.
मुखर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने आर्थिक मामलों के सचिव से रुपये की स्थिति पर रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर से चर्चा करने को कहा है. डीईए सचिव रुपये में गिरावट रोकने के लिये कदम उठाएंगे.’ रुपए पर दबाव कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) से अपनी कुल डालर जरूरत का आधा हिस्सा स्टेट बैंक जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से खरीदने को कहा है.
रुपया शुक्रवार को अमेरिकी करेंसी के मुकाबले 85 पैसे गिरकर 57.15 पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान यह 57.37 तक चला गया था. रुपया पिछले एक साल में 20 प्रतिशत से अधिक नीचे आ चुका है. वित्त सचिव आर एस गुजराल ने कहा कि रिजर्व बैंक निर्देश के अलावा सरकार देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के लिये कदम उठा रही है.
उन्होंने कहा, ‘सरकार विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ाने के लिये सहयोगात्मक कदम उठा रही है. सरकार स्थिति से अवगत है और उपयुक्त उपाय कर रही है.’ उन्होंने यह भी कहा कि विनिमय दर बाजार द्वारा निर्धारित है. वित्त सचिव ने कहा कि पिछले एक साल में रुपये के मूल्य में गिरावट अंतरराष्ट्रीय स्थिति में उतार-चढ़ाव का नतीजा है. रिजर्व बैंक घरेलू मुद्रा में अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव रोकने के लिये हस्तक्षेप कर रहा है.
रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा प्राप्त करने के लिये निर्यात बढ़ाने तथा बैंकों को एनआरआई जमा पर उच्च ब्याज देने के लिये छूट दे रहा है. इसके अलावा सरकार ने भारत में विदेशी निवेश आकषिर्त करने के लिये पोर्टफोलियो निवेश नियमों में छूट भी दी है. विदेशी निवेश प्रवाह कम होने से चालू खाते के घाटे पर असर पड़ा. चालू खाते का घाटा 2011-12 में जीडीपी का 4 प्रतिशत पहुंच गया है.
गुजराल ने कहा, ‘अगर चालू खाते का घाटा बढ़ता है और जब तक उपयुक्त कदम नहीं उठाये जाते, इसका बोझ बढ़ेगा. फलत: इसका समाधान किये जाने की जरूरत है और सरकार इससे निपटने के लिये उपयुक्त कदम उठा रही है.’