धोनी का पीछा 50 से भी अधिक  छायाकार कर रहे हैं. चूंकि विश्व कप बिल्कुल नजदीक आ गया है, इसलिए यह 29 वर्षीय भारतीय कप्तान कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता."/> धोनी का पीछा 50 से भी अधिक  छायाकार कर रहे हैं. चूंकि विश्व कप बिल्कुल नजदीक आ गया है, इसलिए यह 29 वर्षीय भारतीय कप्तान कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता."/> धोनी का पीछा 50 से भी अधिक  छायाकार कर रहे हैं. चूंकि विश्व कप बिल्कुल नजदीक आ गया है, इसलिए यह 29 वर्षीय भारतीय कप्तान कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता."/>
 

धोनी से इंटरव्यू: हमारी फील्डिंग अंतरराष्ट्रीय मानकों से कमतर है

रांची से 65 किलोमीटर दूर दिउड़ी मंदिर में अपने समर्थकों के साथ पूजा के लिए जा रहे धोनी का पीछा 50 से भी अधिक  छायाकार कर रहे हैं. चूंकि विश्व कप बिल्कुल नजदीक आ गया है, इसलिए यह 29 वर्षीय भारतीय कप्तान कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता.

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रांची से 65 किलोमीटर दूर दिउड़ी मंदिर में अपने समर्थकों के साथ पूजा के लिए जा रहे धोनी का पीछा 50 से भी अधिक  छायाकार कर रहे हैं. चूंकि विश्व कप बिल्कुल नजदीक आ गया है, इसलिए यह 29 वर्षीय भारतीय कप्तान कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता. वे जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर से लेकर दक्षिण के तिरुपति मंदिर तक, देश के हर कोने में दैवी आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं.

रांची में उनके प्रशंसकों ने लालकुट चौक के हनुमान मंदिर में तीन घंटे लंबी पूजा की योजना बनाई है, जहां आराध्य के साथ ही धोनी की तस्वीर भी रखी जाएगी. कुछ अन्य लोग पूजा करने वाराणसी स्थित 300 साल पुराने संकटमोचन मंदिर की ओर रवाना हो गए हैं.

लेकिन धोनी के परिवार ने प्रशंसकों से अनुरोध किया है कि दिउड़ी मंदिर में पशु बलि न दें. अपने घर पर गौतम दास से 30 मिनट की बातचीत में धोनी ने कहा कि विश्व कप में भारत का नेतृत्व करना उनके जीवन का सबसे बड़ा सपना है और सबसे बड़ी चुनौती भी.

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तो आपने देवताओं से क्या मांगा?
मैं दिउड़ी मां के हाथ में हूं. जब भी रांची आता हूं, तो मां के मंदिर में जरूर जाता हूं. मुझे आज भी वह दिन याद है, जब मैं पहली बार इस मंदिर में आया था. पहली बार टाटानगर में रणजी ट्रॉफी कैंप में शामिल होने से पहले मैं मोटरसाइकिल पर अपने दोस्तों के साथ इस मंदिर में आया था. आज मैं जो कुछ हूं, दिउड़ी मां के कारण हूं.

रांची में बहुत से युवक आपकी तरह बनना चाहते हैं.
मैं हमेशा उनके लिए उपलब्ध हूं. मैंने महेंद्र सिंह धोनी चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया है, जो झरखंड में क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित करता है ताकि क्रिकेट में उभरती प्रतिभाओं की पहचान करके देश या विदेश में उन्हें प्रशिक्षण दिलाने में मदद की जा सके.{mospagebreak}

अतीत में भी कप्तानों ने विश्व कप जीते हैं : क्लाइव लॉयड ने 1975 में, कपिल देव ने 1983 में, एलन बॉर्डर ने 1987 में, इमरान खान ने 1992 में, अर्जुन रणतुंगा ने 1996 में और रिकी पोंटिंग ने 2003 में ये उपलब्धियां हासिल की थीं. टीमों ने अपने-अपने कप्तान पर उम्मीदें जताईं और कप्तानों ने अपना काम किया. क्या इस लिहाज से आप पर किसी किस्म का दबाव है?
मैं खुद को कभी दबाव के सामने झुकने नहीं देता. अगर आपने ध्यान दिया हो तो पाएंगे कि केवल कप्तानों ने अपने बूते विश्व कप नहीं जीते हैं. 1983 में भारत की जीत के पीछे समूची टीम का योगदान था; कपिल देव ने बार-बार यह कहा है. मेरा हमेशा से टीमवर्क में विश्वास रहा है. 2011 के विश्व कप में भारतीय टीम का नेतृत्व करना मेरे लिए बहुत बड़ा अवसर है. मेरा ध्यान फिलहाल विश्व कप जीतने पर केंद्रित है. अगर ऐसा हुआ तो हम सातवें आसमान पर होंगे.

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आलोचक कहते हैं कि आपको थोड़ा जोखिम भी उठाना चाहिए, पिछले कुछ महीनों में आपमें इसका अभाव दिखा है.
क्या सचमुच? ऐसा कौन कह रहा है? और मैं कब जोखिम नहीं उठाता रहा हूं? वे जो कुछ कह रहे हैं, उन्हें कहने दीजिए, क्योंकि कहना ही उनका काम है. मैं परिस्थितियों के अनुसार ही खेलूंगा. कोई किस तरह खेलता है, यह महत्वपूर्ण है. उतने ही महत्वपूर्ण मैदान पर और मैदान से बाहर लिए जाने वाले उसके फैसले हैं. पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि  हमें मैच जीतने की जरूरत है. मैच जीतना बड़ी चीज है, क्योंकि इससे दबाव कम होता है और मैं अगले मैच की तैयारी कर पाता हूं. मैं आगे भी परिस्थितियों के मुताबिक खेलता रहूंगा. आप पहले से ही मन बनाकर मैदान में कैसे घुस सकते हैं?{mospagebreak}

फील्डिंग भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ी चिंता लगती है. क्या आप इस बात से सहमत हैं?
मैं इससे सहमत हूं, खासकर जब मैं फील्डिंग के अंतरराष्ट्रीय स्तर को देखता हूं. हम इस क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं. पर हम सुधारने की कोशिश भी कर रहे हैं. मैं अपने साथियों को हमेशा फील्डिंग में नई ऊंचाइयां छूने के लिए प्रेरित करता हूं. मैं उनसे हमेशा कहता हूं कि एक रन रोकना या एक कैच लेना पर्याप्त नहीं है. आपको मैदान पर अति सक्रिय होना होगा. जब आप दबाव में होते हैं, तो सचमुच नहीं जानते कि आगे क्या होना है, नतीजतन आप एक कैच छोड़ देते हैं या रन ऑउट के मौके गंवा देते हैं. ऐसी घटनाएं मैच को आपकी पकड़़ से दूर ले जाती हैं. विश्व कप कई बार छोड़े गए कैचों और रन ऑउट के मौके गंवा देने के कारण जीते-हारे गए हैं. इसलिए इस क्षेत्र में हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

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घरेलू दर्शकों के सामने खेलना बड़ी सहूलियत है. क्या इससे आप पर ज्‍यादा दबाव पड़ता है?
मैं भारतीय प्रशसंकों को जानता हूं. मैं इनकार नहीं कर रहा कि भारतीय लोग क्रिकेट के प्रति भावुक हैं और एक हार पर पूरे देश में लोग भड़क सकते हैं. मैं जानता हूं,मेरी टीम पर बहुत दबाव है. लेकिन हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे. सभी साथी इस चुनौती के लिए कमर कस चुके हैं. हाल के कुछ कठिन मैचों में हमने शांत भाव से प्रदर्शन किया है.

तो टीम विश्व कप के लिए कमर कस चुकी है? है न?
समूची टीम कड़ी मेहनत कर रही है. हम अभी हाल में दक्षिण अफ्रीका से लौटे हैं. वह दिलचस्प सीरीज थी. विश्व कप से पहले हमारी टीम को प्रदर्शन का बेहतरीन अवसर मिला.{mospagebreak}

क्या भारतीय टीम के कई खिलाड़ी चोट से नहीं जूझ रहे?
मैं ऐसा नहीं मानता. खिलाड़ियों को चोटें लगती रहेंगी और यह प्रशिक्षकों का काम है कि उन्हें कम कैसे करें. किसी खिलाड़ी के खराब प्रदर्शन का दोष मैं आइपीएल को नहीं देता. हमारी टीम फिट है.

विश्व कप में भारतीय पारी की शुरुआत कौन करेगा?
मैं इस समय आपको इसका जवाब नहीं दे सकता. यह मैच के दिन, पिच के मिजाज और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा.

यह सचिन तेंडुलकर का आखिरी विश्व कप हो सकता है.
मैं तो चाहता हूं कि भा’जी अगला विश्व कप भी खेलें. जब वे बल्लेबाजी करने के लिए जाते हैं, तब मैं क्या सोचता हूं, यह सिर्फ मैं ही जानता हूं. पूरी दुनिया उनसे 50 या 100 रन की उम्मीद करती है-टीम के कुछ सदस्य भी यही अपेक्षा करते हैं-लेकिन मैं केवल यही चाहता हूं कि  वे खेल का आनंद उठाएं. मैं उन पर किसी तरह का दबाव नहीं डालना चाहता. भा’जी के रहते हुए हमने असंभव से असंभव परिस्थितियों को भी अपने पक्ष में किया है. मैं चाहता हूं कि  विश्व कप में वे अपना स्वाभाविक खेल खेलें और टीम के दूसरे खिलाड़ी अपना सौ फीसदी प्रदर्शन करें. यह विश्व कप है. कोई मजाकनहीं है.

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पीयूष चावला को टीम में जगह कैसे मिली...
रुक जाइए. मैं इस सवाल का कोई जवाब नहीं दूंगा.

आपके हिसाब से कौन-सी टीम सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी होगी?
सभी मैच महत्वपूर्ण हैं, सभी टीमें गंभीर प्रतिद्वंद्वी हैं.

अगर आप विश्व कप नहीं जीत पाए तो क्या होगा?
मैं सकारात्मक सोच में विश्वास रखता हूं. हमारे समर्थकों को टीम के लिए दुआ करने दीजिए और हमें बेहतर क्रिकेट खेलने दीजिए. विश्व कप हमारा होगा.

क्या आप ईडन गार्डंस में खेलना मिस करेंगे?
बेशक, हम इस राजसी मैदान को और कोलकाता के एक लाख से अधिक क्रिकेटप्रेमियों को मिस करेंगे. यह मैदान अभी तैयार नहीं है, लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि यह जल्दी ही तैयार हो जाएगा और इस पर विश्व कप के दूसरे मैच खेले जाएंगे.

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