पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले में बुधवार को देश के सर्वोच्च न्यायालय में सबूत पेश किए गए.
'जियो न्यूज' के मुताबिक, महान्यायवादी अनवार-उल-हक ने न्यायालय में सबूत सौंपे. महान्यायवादी का बयान भी रिकॉर्ड किया गया. उन्होंने राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश पर दिए गए न्यायालय के आदेश की सत्यापित प्रति भी सौंपी.
न्यायमूर्ति नसीर-उल-मुल्क की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की सात सदस्यीय पीठ प्रधानमंत्री के खिलाफ सौंपे गए इन सबूतों की जांच करेगी.
मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होनी है. न्यायालय ने हक को इस मामले में अभियोजक के रूप में काम करने के लिए कहा है.
सर्वोच्च न्यायालय ने गिलानी को 16 जनवरी को नोटिस जारी किया था. गिलानी को यह नोटिस न्यायालय के आदेश के बावजूद राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दोबारा नहीं खोलने के लिए जारी किया गया है.
वर्ष 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के साथ हुए समझौते के तहत राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश के जरिये उनके पति जरदारी सहित कई नेताओं को आम माफी दे दी थी.
वर्ष 2009 में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे निरस्त करते हुए सरकार को जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दोबारा खोलने के आदेश दिए थे. लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया, जिसके बाद गिलानी को अदालत की अवमानना का नोटिस भेजा गया.
गिलानी ने इस आधार पर जरदारी के खिलाफ मामले न खोलने के सरकार के फैसले का बचाव किया है कि राष्ट्रपति को देश के संविधान के तहत आपराधिक मामलों की सुनवाई से छूट प्राप्त है.