scorecardresearch
 

महिलाओं पर भी चल सकेगा रेप का केस

मंत्रिमंडल ‘बलात्कार’ के स्थान पर ‘यौन उत्पीड़न’ शब्द लाकर इसे लिंग के भेद के आधार से मुक्त ‘अपराध’ घोषित करने तथा एसिड एटैक के मामलों में सजा बढ़ाने के लिए आपराधिक दंड कानून को संशोधित करने के प्रस्ताव पर गुरुवार को विचार कर सकता है.

Advertisement
X

मंत्रिमंडल ‘बलात्कार’ के स्थान पर ‘यौन उत्पीड़न’ शब्द लाकर इसे लिंग के भेद के आधार से मुक्त ‘अपराध’ घोषित करने तथा एसिड एटैक के मामलों में सजा बढ़ाने के लिए आपराधिक दंड कानून को संशोधित करने के प्रस्ताव पर गुरुवार को विचार कर सकता है.

बलात्कार कानून संशोधन प्रस्ताव के अनुसार यदि इस अपराध की नई व्याख्या यौन उत्पीड़न स्वीकार कर ली जाती है, तो पुरुषों पर भी ऐसे हमलों के मामलों में उन्हीं नियमों की तरह कार्रवाई होगी.

सूत्रों ने बताया कि बलात्कार कानून में बदलाव का मसौदा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अपराध दंड कानून (संशोधन) विधेयक, 2011 के अंग में तैयार किया.

एक अन्य प्रस्ताव, जिस पर मंत्रिमंडल गुरुवार को विचार कर सकता है, वह है भारतीय दंड संहिता की धारा 326 में नई धारा 326 ए (एसिड हमले द्वारा चोट पहुंचाना) तथा धारा 326 बी (एसिड फेंकने या पिलाने) शामिल करना है. आईपीसी की धारा 326 जान-बूझकर खतरनाक हथियारों या माध्यमों से गंभीर चोट पहुंचाने से संबंधित है. एसिड से जुड़े अपराध की सजा 10 साल की कैद किये जाने का प्रस्ताव है.

Advertisement
Advertisement