राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के संसद में अभिभाषण के साथ बजट सत्र शुरु हो चुका है. राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण के दौरान कहा कि ये साल अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किलों भरा रहा. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद हमारी सरकार ने अच्छे विकासदर को हासिल किया.
बजट सत्र यूपीए सरकार के लिए आसान नहीं रहने वाला है. एक तो विधानसभा चुनावों के नतीजे कुल मिलाकर कांग्रेस के हक में नहीं रहे. दूसरे मध्यावधि चुनाव की बात कही जा रही है और तीसरे खुद सरकार के सहयोगी भी संघीय ढांचे और महंगाई जैसे मुद्दों पर कड़े तेवर दिखा रहे हैं.
बजट सत्र की शुरुआत दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी. सत्र का पहला दौर 12 मार्च से 30 मार्च के बीच जबकि दूसरा दौर 24 अप्रैल से 22 मई तक चलेगा. रेल बजट 14 मार्च को पेश होगा, जबकि 15 मार्च को आर्थिक सर्वे और 16 मार्च को आम बजट पेश किया जाएगा.
इस सत्र में यूपीए के सामने एक बड़ी चुनौती होगी अपने सहयोगियों को एकजुट बनाए रखना. ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पहले भी लोकपाल विधेयक, खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश, महंगाई और राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र के मुद्दे पर विरोध जता चुकी है.
सत्र के दौरान विपक्षी दल भी सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं. विपक्षी दल कालेधन और महंगाई के मुद्दे को खास तौर पर उठा सकते हैं. इस बीच बीजेपी ने फैसला किया है कि वो सदन में गृह मंत्री पी चिदंबरम का विरोध अब नहीं करेगी. चिदंबरम का बहिष्कार सिर्फ विंटर सेशन के लिए था.
इसी सत्र में राज्यसभा की 58 सीटों के लिए भी चुनाव होने हैं. 30 मार्च को होने वाले इस चुनाव में पांच राज्यों के चुनाव नतीजे अहम भूमिका निभाने वाले हैं.