रूस के उत्तरी इलाके मसलन सेंट पीटर्सबर्ग से लेकर राजधानी मॉस्को और फिर साइबेरिया को दुनिया की सबसे ठंडी जगहों में से एक माना जाता है. इन जगहों के हालात ऐसे हैं कि ठंड के चलते लोगों के हाथ जम जाते हैं और सावधानी ना बरतने पर फ्रॉस्टबाइट जैसे हालात भी हो जाते हैं लेकिन अब इस क्षेत्र में गर्मी के चलते लोगों का बुरा हाल हो चुका है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty images)
यूरोपियन यूनियन अर्थ ऑब्जरवेशन प्रोग्राम के मुताबिक, साइबेरिया के शहर वर्कोजैंक्स्क में लगभग 48 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया है और यहां पर जमीन छूने पर लोगों के हाथ जल रहे हैं. इस एजेंसी का ये भी कहना है कि साइबेरिया के बेहद ठंडे शहर saskylah में भी गर्मी के रिकॉर्ड टूट रहे हैं और यहां भी 30 से अधिक तापमान रिकॉर्ड किया गया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty images)
एपी की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की राजधानी मॉस्को में भी जून में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ी है और इस महीने में 34.8 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया. इससे पहले साल 1901 में 34.7 डिग्री सेल्सियस तापमान मॉस्को में रिकॉर्ड किया गया था. जलवायु परिवर्तन रूस को कई स्तर पर प्रभावित कर रहा है और पूरी दुनिया के मुकाबले रूस 2.5 गुणा ज्यादा तेजी से गर्म हो रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
वर्ल्ड मीटियोरोलॉजी संस्था के अनुसार, 2021 क्लाइमेट चेंज के लिहाज से एक बेहद महत्वपूर्ण साल होने जा रहा है. हमने अगर क्लाइमेट चेंज को लेकर उचित प्रयास नहीं किए तो दुनिया में बाढ़, सूखा और तूफानों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty images)
इस बेहद गर्म तापमान के चलते आर्कटिक क्षेत्र के जंगलों में आग भी लग रही है. अप्रैल के महीने में जंगल में लगी ये आग साइबेरिया के कई इलाकों में पहुंची थी. नासा की इमेजरी के अनुसार, ये आग इतनी ज्यादा खतरनाक हो गई थी कि स्पेस से भी इस आग के स्मोक को देखा जा सकता था. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty images)
उस दौर में हालात इतने खराब थे कि हवा की क्वालिटी एकदम खराब हो चुकी थी और अधिकारियों ने लोगों को 'काले आसमान' की चेतावनी देते हुए कहा था कि उन्हें कम से कम समय घर से बाहर बिताना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा घरों में रहना चाहिए. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty images)
गौरतलब है कि साल 2020 में भी साइबेरिया के तापमान में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली थी. नेशनल ज्योग्राफिक के मुताबिक, इस साल साइबेरिया में तापमान का 135 साल पुराना रिकॉर्ड टूट गया था. साइबेरिया में लगातार बढ़ते तापमान को क्लाइमेट चेंज की समस्या गंभीर होने से भी जोड़कर देखा जा रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty images)
अमेरिका के कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉक्टर माइकल का कहना था कि जून के महीने में जिस तरह से आर्कटिक सर्कल में गर्मी बढ़ी है वो मानवों के पर्यावरण में दखलअंदाजी का नतीजा है और उसी वजह से जलवायु परिवर्तन की समस्या देखने को मिल रही है और इसके दूरगामी परिणाम होने जा रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)