रविवार की रात को अफवाहों का दौर गर्म होने के बाद एक बार फिर दिल्ली के सुलगने की आशंका नजर आ रही थी लेकिन पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव की सूझबूझ ने इस पर परदा डाल दिया. परदा ही नहीं डाला, बल्कि अव्वल दर्जे की रणनीति के चलते उन्होंने दिल्ली को 'अफवाहों की आग' में स्वाहा होने से बखूबी बचा भी लिया.
जिस राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का उत्तर पूर्वी जिला 4-5 दिन पहले हिंसा की आग में धू-धू कर जला हो, 45 से ज्यादा बेकसूर लोग जान गंवा चुके हों, जिस आग में करोड़ों रुपये की संपत्ति स्वाहा हो चुकी हो, जिस आग ने तमाम मासूमों के सिर से अपनों का साया उठा लिया हो, जिसने घर में बैठी तमाम बेकसूर महिलाओं को विधवा बना डाला हो, उसी दिल्ली शहर में चंद दिन बाद रविवार को फिर से हिंसा फैलने की अफवाह फैल गई. एक साथ चंद मिनटों के भीतर भगदड़ सा माहौल बन गया.
दिल्ली पुलिस के कंट्रोल रूमों को आधे घंटे में ही 1880 से ज्यादा फर्जी झूठी सूचनाएं अलग-अलग इलाकों में हिंसा फैलने की मिलीं. 40 से ज्यादा लोग गिरफ्तार कर लिए गए. तमाम मेट्रो स्टेशन के मुख्यद्वार बंद कर दिए गए, पुलिस कमिश्नर ने इससे चंद घंटे पहले ही दिल्ली में पुलिस आयुक्त की कुर्सी संभाली थी.
सोचिए कि अफवाहों का नकारात्मक असर किस कदर शांत शहर को देखते-देखते तबाह कर सकता था. मगर हुआ इस सोच के विपरीत. अफवाहों के फैलने के शुरुआती दौर में ही पुलिस सड़कों पर उतर आई.
थाने के एसएचओ से लेकर दिल्ली पुलिस के तमाम एसीपी, डीसीपी, ज्वाइंट कमिश्नर, स्पेशल कमिश्नर तक, सबके सब राजधानी की सड़कों पर वर्दी पहने खड़े थे. अधिकांश के हाथों में लाउडस्पीकर थे. अफवाहों से भयभीत इलाके के लोगों के बीच पुलिस पहुंची, तो जान बचाने को इधर-उधर भाग रहे लोग अपनी-अपनी जगह पर रुके.
लोगों ने चंद मिनट में पुलिस की मौजूदगी देखकर शांत रहने में ही भलाई समझी. देखते ही देखते अफवाहों की तपिश में एकदम कमी आ गई. पुलिस को गली-कूचों में खड़ा पाकर अफवाहें फैलाने वाले इधर-उधर दुबक गए. अगर पुलिस सड़कों पर न उतरती होती, तो शायद दहशत फैलाने वाले अपनी जान बचाने को भगदड़ में शामिल हो सकते थे. उन्हें शायद यही लगता कि कहीं फिर फिसड्डी पुलिस के पहुंचने के इंतजार में वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिले की मानिंद दंगों की आग में न झुलस उठें.
चंद मिनट में देश की राजधानी में इतने सब बवाल-हड़कंप के बाद भी किसी को खरोंच तक नहीं आई. इसके पीछे अगर कोई ठोस वजह मानी जा रही है तो वो सिर्फ और सिर्फ, दिल्ली के नए पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव की सूझबूझ और तुरंत फैसला लेने की उनकी कुव्वत है.
दिल्ली पुलिस की ही एक महिला डीसीपी ने सोमवार को बताया, "रविवार की रात जैसे ही एक साथ कंट्रोल रूम्स में अलग-अलग जगहों से हिंसा फैलने की खबरें आनी शुरू हुई. हमारी स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच, स्पेशल ब्रांच मॉनिटरिंग (निगरानी) पर लग गई. सीपी साहब खुद भी हालात पर नजर रखे हुए थे. यहां तक कि ट्रैफिक पुलिस भी सड़कों पर अलर्ट मोड पर उतर चुकी थी. ईश्वर का शुक्र है कि अफवाह फैलाने वालों से पहले ही हम लोग (दिल्ली पुलिस) पब्लिक के बीच पहुंच गए.''