पश्चिम अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में 4 जून को भयानक हमला देखने को मिला था जिसमें 138 लोग मारे गए थे. अब इस मामले में संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि बुर्किना फासो में हुए इस नरसंहार में छोटे बच्चे शामिल थे और इस हमले को 12 साल से 14 साल के बच्चों की फौज ने अंजाम दिया था. (नरसंहार के बाद जिंदा बचे लोग, फोटो क्रेडिट: getty images)
इन हमलावरों ने साहेल याघा प्रांत के सोल्हान गांव में हमला किया था और घरों को आग भी लगा दी थी. सरकारी प्रवक्ता ओसेनी तंबोरा ने भी माना है कि इस अटैक में ज्यादातर हमलावर बच्चे थे. गौरतलब है कि इस क्षेत्र में अलकायदा और आईएस जैसे आतंकी संगठन सक्रिय हैं. (फोटो क्रेडिट: getty images)
ये आतंकी संगठन इन बच्चों को बड़े पैमाने पर अपने साथ शामिल करते हैं. इस घटना के बाद यूनिसेफ का भी बयान सामने आया है और इसमें आतंकी संगठनों में बच्चों को शामिल करने की कड़ी आलोचना की गई है और ये भी कहा गया है कि ये उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. (हमले में सुरक्षित बचने वाले बच्चे, फोटो क्रेडिट: getty images)
पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के चलते इस देश में मार्च से लेकर जून तक देश भर में लॉकडाउन लगा था और इसके बाद कई बच्चे वापस कभी स्कूल लौटे ही नहीं. यूएन के मुताबिक, इस देश में अब तक 3 लाख से ज्यादा बच्चे एजुकेशन को छोड़ चुके हैं. (फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)
यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में ही आतंकी संगठनों ने मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में लगभग 3270 बच्चों को अपने संगठन में शामिल किया था. दुनिया भर में मौजूद चाइल्ड सोल्जर्स में से एक तिहाई तो इस देश में ही शामिल हैं और इस क्षेत्र में हिंसा का काफी सामान्यीकरण हो चुका है.(फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)
एसीएलईडी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 से अब तक इस देश में 5700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. एक मिलिट्री ऑफिसर का कहना था कि आमतौर पर 7-8 साल की उम्र में इन बच्चों को किडनैप करने के बाद 12 साल की उम्र तक उन्हें मैदान में उतार दिया जाता है. (फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)
पश्चिमी अफ्रीका के इस देश में हिंसा के चलते 10 लाख से अधिक लोग विस्थापित भी हुए हैं. हाल के महीनों में हमले बढ़े हैं और अप्रैल महीने मे सिर्फ एक हफ्ते में 50 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें दो स्पेनिश पत्रकार और एक आयरिश संरक्षणवादी शामिल थे.(गोलीबारी से बचने वाले लोग, फोटो क्रेडिट: getty images)
बुर्किना फासो की तरह की अफ्रीकी देश नाइजीरिया में भी आतंकी संगठन बच्चों को अपनी रणनीति का अहम हिस्सा मानते रहे हैं. इनमें बोको हराम का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है. बोको हराम ना केवल इन बच्चों को बंदूकधारी हमलावरों के तौर पर भेजता है बल्कि कुछ बच्चों के शरीर पर बम बांधकर उन्हें आत्मघाती हथियार के तौर पर भी इस्तेमाल कर चुका है. (नरसंहार के बाद जिंदा बच गए बच्चे, फोटो क्रेडिट: getty images)