मिस्त्र के स्वेज नहर में लगा जाम आखिरकार खुल गया है. लाल सागर और भूमध्य सागर के बीच मौजूद इस छोटे लेकिन बेहद महत्वपूर्ण जलमार्ग में एवर गिवन नाम का शिप तिरछा होकर फंस गया था और पिछले सात दिनों से ये मार्ग बंद था. इस मार्ग के बंद होने के चलते नहर के दोनों छोर पर सैकड़ों जहाज और फंस गए थे.
इन जहाजों में पेट्रोलियम प्रोडक्ट से लेकर खाने-पीने की चीजें लदी हुई थीं. ये नहर इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस मार्ग के सहारे सात हजार किलोमीटर की दूरी को महज 300 किलोमीटर में कवर किया जा सकता है. इस मार्ग के सहारे समय और पैसों की काफी बचत होती रही है. यही कारण है कि इसे दुनिया के सबसे व्यस्त जलमार्ग में शुमार किया जाता है.
बता दें कि 'एवर गिवेन' जहाज चीन से माल लादने के बाद नीदरलैंड के पोर्ट रॉटरडैम जा रहा था. ये शिप स्वेज नहर से गुजर रहा था, लेकिन तेज और धूलभरी हवा की वजह से नहर में ही फंस गया था. 400 मीटर लंबे इस जहाज में 2 लाख टन से भी ज्यादा का माल लदा है. इस शिप के चालक दल में 25 भारतीय भी शामिल हैं.
गौरतलब है कि रेत के तूफान और तेज हवाओं के बीच फंसे इस 400 मीटर लंबे और दो लाख टन वजन वाले शिप को निकालना आसान नहीं था. इस काम के लिए एक विशेषज्ञ टीम (एसएमआईटी) ने 13 टगबोट का इंतजाम किया था. टगबोट यानि छोटी लेकिन शक्तिशाली नावें, जो बड़े जहाजों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती हैं.
इसके अलावा इस टीम ने ड्रेजर का भी इस्तेमाल किया था. इन ड्रेजर के सहारे जहाज के सिरों के नीचे से लगभग 25-30 हजार क्यूबिक मीटर मिट्टी को खोदा गया था. हालांकि इन प्रयासों से बात बनती नजर नहीं आई तो इसके बाद एवर गिवन से सामान हटाने की बात भी सामने आने लगी थी.
रिपोर्ट्स के अनुसार, एक्सपर्ट टीम इस शिप से 18 हजार कंटेनर भी निकालने के बारे में विचार कर रही थी ताकि जहाज के वजन को कम किया जा सके. हालांकि इसकी जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि समुद्र की ऊंची लहरों के चलते वहां जहाज को निकालने में लगे लोगों के लिए काफी फायदा हो गया था. बचाव दल के सामने तेज हवाओं और कम रोशनी की भी चुनौती थी लेकिन उन्होंने पूर्णिमा और ज्वार-भाटा का फायदा उठाते हुए इस जहाज को समुद्र के काफी अंदर से निकाल लेने में कामयाबी हासिल की.
सोमवार की सुबह को जहाज के पिछले हिस्से को निकाल लिया गया था. इसके बाद तिरछे फंसे इस जहाज को काफी हद तक सीधा करना संभव हो पाया था. कुछ घंटों बाद एक बार फिर बचाव दल को सफलता मिली क्योंकि इन कुछ घंटों में जहाज का आगे का हिस्सा भी निकाल लिया गया था.
इसके चलते एवर गिवेन तैरने की स्थिति में आ गया था और इसके बाद इस शिप को ग्रेट बिटर लेक लेकर जाया गया. ग्रेट बिटर लेक पर इस शिप की जांच की जाएगी. हालांकि माना जा रहा है कि एक हफ्ते तक फंसे इस जहाज के निकलने के बावजूद आने वाले शिप्स के शेड्यूल में काफी गड़बड़ी हो सकती है.
गौरतलब है कि पूरी दुनिया में होने वाले समुद्री कारोबार का 12 प्रतिशत इसी नहर से होता है. एशिया और यूरोप के बीच समुद्री यातायात के लिए स्वेज नहर से गुजरना सबसे फायदे भरा सौदा माना जाता रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस नहर से रोज लगभग 50 जहाज गुजरते हैं जिन पर करीब 70 हजार करोड़ तक का सामान लदा होता है.
इस जहाज को 2018 में बनाया गया था, जिसे एवरग्रीन मरीन नामक कंपनी संचालित करती है. इस नहर की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछली बार इस जलमार्ग को साल 1967 में छह दिन चले युद्ध के बाद आठ सालों तक बंद कर दिया गया था. उसके बाद से ये जलमार्ग लगातार एक्टिव है.