ताइवान में सात साल के मासूम बच्चे की शरीरिक दंड और सख्त प्रशिक्षण के चलते जान चली गई. आईसीयू में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर पिछले 70 दिनों से ये मासूम जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा था. डॉक्टरों ने उसकी हालत को लेकर जवाब दे दिया, जिसके बाद बच्चे के माता-पिता ने उसे आईसीयू से निकालने का फैसला लिया. बच्चे की मौत के बाद बाल शोषण पर बहस छिड़ी है, तो वहीं इस मामले में जूडो कोच के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)
ये मामला सामने आया अप्रैल 2021 में, जब जूडो क्लास में गंभीर रूप से घायल सात साल के मासूम को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. जूडो प्रैक्टिस के दौरान सात साल के मासूम बच्चे को उसके सीनियर द्वारा 27 बार जमीन पर पटका गया, जिसके चलते उसे ब्रेन हैमरेज हो गया. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)
स्थानीय समाचार साइट ताइपे टाइम्स के अनुसार बच्चे के कोच पर शारीरिक हमले का आरोप लगाया गया है, जिसकी वजह से उसे गंभीर चोट लगी. इस मामले में कोच 'हो' को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसकी इस माह के शुरुआत में ही जमानत हो गई. बच्चे की मौत के बाद कोच पर लगे आरोपों को बदला जा सकता है, जिसमें दोषी पाए जाने पर सात साल से लेकर अजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार सात वर्षीय बच्चे ने 21 अप्रैल को अपने चाचा की देखरेख में जूडो क्लास ज्वाइन की थी. इसके बाद जूडो प्रैक्टिस का एक वीडियो उसकी मां को यह कहते हुए दिखाया गया, कि वह जूडो उसके लिए सही नहीं था. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)
वीडियो में दिखाया गया है कि अभ्यास के दौरान बच्चे को एक पुराने सहपाठी द्वारा जमीन पर 27 बार पटका जाता है. इस वीडियो में बच्चे को चिल्लाते हुए सुना जाता है, लेकिन उसके कोच ने उसे खड़े होने का आदेश दिया और बड़े लड़के से कहा कि वह उसे जमीन पर पटकना जारी रखे. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)
हालांकि, ये सिलसिला तब तक जारी रहा, जब तक सात साल का मासूम बेहोश नहीं हो गया. सवाल ये भी उठता है कि बच्चे के चाचा ने कोच को क्यों नहीं रोका? बच्चे की मां ने कहा कि उसके चाचा को जो कुछ हुआ वो बेहद ही भयानक लगा. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)
इस हादसे के बाद से सात साल का मासूम फेंगयुआन अस्पताल के आईसीयू में भर्ती था. मंगलवार को रात नौ बजे डॉक्टरों ने बताया कि उसका ब्लड प्रैशर और हार्ट बीट कम हो रही है. डॉक्टरों द्वारा बच्चे के परिवार से बात की गई, जिसके बाद परिवार वालों के फैसले के बाद बच्चे को आईसीयू से निकाल लिया गया. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)