पाकिस्तान में एक परेशान करने वाली सदियों पुरानी परंपरा है जहां दान किए गए नवजात शिशुओं के सिर को कथित तौर पर लोहे के मुखौटे में बंद कर दिया जाता है. झुकी हुई खोपड़ी, विकृत माथे और संकीर्ण चेहरों वाले ये बच्चे बड़े होकर सड़कों पर भीख मांगते हैं. (तस्वीर - Getty)
ऐसे लोगों को "चूहे के बच्चे" या "चुहास" के रूप में जाना जाता है और एक अंधविश्वास है कि यदि आप उन्हें पैसे देने से मना करते हैं तो आप पर दुर्भाग्य का साया पड़ेगा और सबकुछ खराब हो जाएगा. (तस्वीर - Getty)
लोगों को बीमार करने की इस रुढ़िवादी परंपरा को अब वहां के आपराधिक गिरोहों ने अपना हथियार बना लिया है. (तस्वीर - Getty)
ऐसे गिरोह ने कथित तौर पर विकलांग बच्चों के जरिए पैसा कमाने और उनका शोषण करने के लिए अब इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. (तस्वीर - Getty)
माना जाता है कि वे स्वस्थ बच्चों का पहले अपहरण करते हैं और फिर उन्हें ऐसे मुखौटे में बंद कर उनका चेहरा विकृत कर देते हैं. (तस्वीर - Getty)
इसके बाद उन्हें "चूहे के बच्चों" में बदल देते हैं और उनसे भीख मंगवाते हैं क्योंकि ऐसे बच्चों को लोग डर से ज्यादा भीख देते हैं. (तस्वीर - Getty)
पाकिस्तान में इस बर्बरता की शुरुआत कहां से हुई है यह वहां विवाद का विषय है. वहां ऐसे बाल भिखारियों को आमतौर पर 'शाह डोला के चूहे' के रूप में जाना जाता है. (तस्वीर - Getty)