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न‍िर्भया केस: फांसी के ल‍िए हो चुकी थी डमी प्रैक्ट‍िस,अंत‍िम समय में....

न‍िर्भया केस: फांसी के ल‍िए हो चुकी थी डमी प्रैक्ट‍िस,अंत‍िम समय में....
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निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के ल‍िए शुक्रवार को डमी एक्जीक्यूशन क‍िया गया. शन‍िवार को चारों दोष‍ियों को फांसी होती, उससे पहले ही पट‍ियाला कोर्ट ने फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. इससे पहले गुरुवार को फांसी पर लटकाने के ल‍िए पवन जल्लाद ने द‍िल्ली की त‍िहाड़ जेल में र‍िपोर्ट क‍िया था.
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निर्भया केस के आरोपियों की फांसी की तारीख और वक्त कोर्ट ने पहले 22 जनवरी और अब 1 फरवरी तय क‍िया हुआ है. 1 फरवरी की सुबह 6 बजे चारों दोषी अक्षय, पवन, व‍िनय और मुकेश को फांसी पर लटकाया जाना था. शुक्रवार को तिहाड़ जेल प्रशासन ने डमी एक्जीक्यूशन को अंजाम द‍िया. इसके ल‍िए बाकायदा तिहाड़ के सीनियर अधिकारियों ने फांसी कोठी का भी निरीक्षण किया जहां पर  4 अलग-अलग तख्ते बनाए गए हैं.
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डमी एक्जीक्यूशन के ल‍िए फांसी की रस्सी में दोष‍ियों के वजन से 3 गुना ज्यादा रेत वाले बोरे को लटकाया जाता है. इससे यह चेक किया जाता है कि कहीं रस्सी टूट तो नहीं रही है. इसके लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने पहले ही ब‍िहार की बक्सर जेल से रस्स‍ियां मंगवा ली हैं.
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जब आजतक के एक क्राइम शो में पवन जल्लाद से यह पूछा गया था क‍ि डमी एक्जीक्यूशन होता क्या है? इस पर पवन ने कहा था, " जब फांसी की तारीख तय हो जाती है, तो हमें ट्रायल के ल‍िए बुलाया जाता है. रस्से का ट्रायल क‍िया जाता है. ज‍ितने वजन के आदमी को फांसी देनी होती है, उतने वजन की म‍िट्टी एक बोरे में भरी जाती है. फ‍िर बोरे में गला बनाया जाता है. उसके बाद बोरे को तख्ते पर र‍ख द‍िया जाता है. बोरे में जो गला जैसा बनाया था, उसमें रस्से को डाल द‍िया जाता है और बोरे को टांग द‍िया जाता है."
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पवन ने आगे बताया था, "इस सारी प्रक्र‍िया के बाद जेल प्रबंधन हमें रूमाल से इशारा करते हैं. जैसे ही हमें इशारा म‍िलता है, हम खटका खींच देते हैं और बोरी कुएं में लटक जाती है. यह टेस्ट‍िंग इसल‍िए की जाती है क‍ि जब असली में इतने ही वजन वाले कैदी की फांसी हो तो यह पता लग जाता है क‍ि इस प्रक्र‍िया में रस्सी टूटेगी या नहीं?"
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क्राइम तक की टीम ने जब पवन से फांसी की रस्सी के बारे में पूछा था तो पवन ने बताया, "मैं उस रस्सी की तैयारी 8-10 द‍िन पहले ही कर लेता हूं. यह रस्सी बहुत खास होती है. पहले जूट की रस्सी बनी होती थी, लेक‍िन अब मनीला की आ रही है. यह व्हाइट कलर की होती है. यह रस्सी ब‍िहार के बक्सर सेंट्रल जेल में कैदी बनाते हैं. यह रस्सी खास होती है जो 100 से 110 क‍िलो तक का भार उठा लेती है. यह रस्सी तैयार की हुई हमें म‍िलती है. इस रस्सी में कैरम बोर्ड में इस्तेमाल क‍िया जान वाले पाउडर लगाया जाता है, जिससे रस्सी खराब नहीं होती है."
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पवन ने आगे बताया, "रस्सी म‍िलने के बाद हम फांसी स्थल पर लगे लोहे के गार्डर में तीन जगह टाट को बांधते हैं ज‍िससे रस्सी स्ल‍िप न हो."
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तिहाड़ जेल के सूत्रों की मानें तो फांसी की प्रक्रिया को जेल नंबर 3 में अंजाम दिया जाएगा जहां पर फांसी के चार तख्ते बनाए गए हैं. जेल मैनुअल के आधार पर आरोपियों को फांसी दी जाएगी.
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बता दें क‍ि फांसी से पहले सभी आरोपियों को अलग-अलग सेल में रखा गया है. डेथ वारंट जारी होने के बाद वह बेहद परेशान हैं.
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इससे पहले जैसे ही डेथ वारंट तिहाड़ जेल प्रशासन में पहुंचा, तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने फांसी कोठी का निरीक्षण भी किया और उसके बाद सारी तैयारियों का जायजा लिया. फांसी कोठी में चार अलग-अलग तख्त बना दिए गए हैं.
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