नेपाल में इस समय राजनीतिक संकट गहराया हुआ है और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपनी सरकार बचाने की हर संभव कोशिश में लगे हुए हैं. हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इसी बीच नेपाल सशस्त्र प्रहरी (एनएसपी) ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में सीमा के पास स्थापित 6 नई चौकियों में से 2 चौकियों को हटा लिया है.
भारत विरोधी फैसलों को लेकर निशाने पर आए केपी ओली इस समय नेपाल में सत्ता बचाने के लिए अपनी ही पार्टी के नेता के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की एक स्थायी समिति को सोमवार को ओली के भविष्य का फैसला करने के लिए एक बैठक आयोजित करनी थी लेकिन बुधवार तक के लिए इसे टाल दिया गया है. बता दें कि उसी पार्टी में सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड ने सेना के जरिए प्रधानमंत्री पर सत्ता हथियाने की कोशिश का आरोप भी लगाया है.
इस बीच उत्तराखंड में नेपाल सरकार के दो चौकियों को हटाए जाने के फैसले को भी इस राजनीतिक संकट से जोड़कर देखा जा रहा है. भारत द्वारा पिथौरागढ़ जिले के धारचूला कस्बे से लिपुलेख दर्रा को जोड़ने वाले रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का उद्घाटन किए जाने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया था. नेपाल की ओर से इस क्षेत्र में करीब 6 महीने पहले छह नई सीमा चौकी स्थापित की गई थीं.
उसी वक्त ओली की सरकार ने दावा किया था कि पिथौरागढ़ जिले के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा नेपाली क्षेत्र में आते हैं. नेपाल की संसद ने भी तीन क्षेत्रों को दिखाते हुए एक नया नक्शा पारित किया था.
सीमा चौकियों को हटाने की पुष्टि करते हुए, धारचूला के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट अनिल कुमार शुक्ला ने कहा, "दो दिन पहले एनएसपी द्वारा संचालित दो सीमा चौकियों को हटा दिया गया था."
शुक्ला ने कहा, “हमने कुछ दिन पहले चेक पोस्ट पर नेपाली अधिकारियों के साथ एक संक्षिप्त बैठक के दौरान इस पर ध्यान दिया. जब हमने इसके बारे में पूछताछ की, तो उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारियों के आदेश पर ऐसा किया गया था. ”
उत्तराखंड में भारत-नेपाल संबंधों के विशेषज्ञों ने द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बीच नेपाल के कदम को महत्वपूर्ण बताया है. जानकारी के मुताबिक नेपाल द्वारा चौकी को हटाए जाने के फैसले से तनाव में कमी आएगी. पीएम ओली की सरकार गिरने की आशंका के बीच नेपाल के दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत भी इसे माना जा रहा है.