लंदन में चल रहे निजाम फंड केस में भारत ने पाकिस्तान को मात दे दी है. इसके साथ ही लाखों पौंड की राशि ब्रिटिश बैंक ने भारतीय उच्चायोग को सौंप दी है. भारत को लगभग 3.5 करोड़ पौंड (करीब 325 करोड़ रुपये) की राशि मिली है.
(Photo: Wikipedia Commons)
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दरअसल, हैदराबाद के निजाम के पैसों से जुड़े एक 70 साल पुराने मामले में अब फैसला आया है. लंदन के एक बैंक में करीब 7 दशक से कई सौ करोड़ रुपये फंसे हुए थे, इसी मामले में वहां की अदालत ने फैसला सुनाया है.
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पाकिस्तान ने केस तो हारा ही है, साथ में उसे भारत को केस लड़ने में खर्च हुई रकम का 65 फीसदी पैसा (26 करोड़ रुपये) भी अलग से देने पड़े हैं. लंदन में भारत सरकार के अधिकारियों ने गुरुवार को इस बारे में मीडिया को जानकारी दी है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान ने भी भारत सरकार को 2.8 मिलियन (करीब 26 करोड़ रुपये) चुकाए हैं. यह भारत द्वारा लंदन हाई कोर्ट में इस केस पर आए खर्च की 65 फीसदी लागत है.
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हैदराबाद निजाम के वारिस की ओर से जिन वकीलों ने केस लड़ा, उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की है कि उनके क्लाइंट को अपने हिस्से की रकम मिल गई है.
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क्या है 70 साल पुराना विवाद:
दरअसल, यह मामला तब शुरू हुआ था जब भारत के विभाजन के समय हैदराबाद के तत्कालीन निजाम ने लन्दन में तत्कालीन पाकिस्तान उच्चायुक्त रहिमतुल्ला के पास करीब 1 मिलियन पाउंड की रकम भेजी थी.
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तब से अब तक यह रकम बढ़कर 35 मिलियन पाउंड हो गई है. भारत ने इस पैसे पर यह
कहते हुए दावा किया कि 1965 में निजाम ने यह पैसा भारत को दिया था.
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कई बार किए गए सुलह के प्रयास:
इस मामले को निपटाने के लिए पहले भी कई प्रयास किए गए. लेकिन पाकिस्तान हमेशा पीछे हट जाता रहा. अप्रैल 2008 में भारत सरकार ने घोषणा की थी कि वह पाकिस्तान के साथ कोर्ट के बाहर मामला निपटाने के लिए तैयार है.
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बकायदा प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पाकिस्तान
और निजाम के वंशजों के साथ यह मामला कोर्ट के बाहर निपटाने की स्वीकृति दे
दी है. यह बातचीत करीब 18 महीने तक चली.
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फिर उसी साल जुलाई में
काबुल में भारतीय दूतावास पर हमला हुआ और उसके बाद उसी साल 26/11 मुंबई
हमले के बाद दोनों देशों के रिश्ते बदतर हो गए. बातचीत का प्रयास ही नहीं
हो सका. (All Photos: File)