उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने के बाद आई भयावह आपदा ने पूरे इलाके को मलबे और पानी से भर दिया. देखते ही देखते यह शांत और सुंदर क्षेत्र जलसैलाब की चपेट में आ गया.
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धराली गांव, जो हर्षिल घाटी में स्थित है, आमतौर पर अपनी मनमोहक प्राकृतिक खूबसूरती और सेब के बागानों के लिए जाना जाता है. यह जगह इतनी शांत और सुरम्य है कि इसे 'ईश्वर का तोहफा' कहा जाता है. लेकिन हाल की प्राकृतिक आपदा ने यहां कुदरत का एक अलग ही रूप दिखाया, जिसने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया.
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धराली गांव अपनी अद्भुत प्राकृतिक खूबसूरती, शांत वातावरण और सेब के बागानों के लिए खास तौर पर मशहूर है. इसे लोग अक्सर "गॉड गिफ्टेड विलेज" (ईश्वर का वरदान प्राप्त गांव) भी कहते हैं.
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धराली गांव में आप जाएंगे तो देखेंगे के ये गांव चारों तरफ से देवदार के पड़े और पहाड़ों से घिरा हुआ है. धराली गांव के ज्यादातर घरों के पास सेब के बागान हैं. धराली से गंगोत्री की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है, जो सड़क मार्ग से आसानी से तय की जा सकती है. वहीं, हरिद्वार से धराली गांव की दूरी लगभग 290 किलोमीटर है.
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यहां उगने वाले सेब बहुत ही मीठे, रसीले और उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं. धराली को उत्तराखंड के सेब बेल्ट का हिस्सा माना जाता है. खान-पान के मामले में इस गांव में बेहद स्वादिष्ट राजमा-चावल, पहाड़ी साग बेहद मशहूर है
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धराली गांव चारों ओर से बर्फ से पहाड़ से ढका नजर आता है. इस गांव भागीरथी नदी के पास बसा हुआ है. यहां का शुद्ध वातावरण, नीला आसमान और शांत पहाड़ी जीवन सैलानियों को बहुत आकर्षित करता है.
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यहां भागीरथी नदी के किनारे लोग रिवर वॉक या पिकनिक का आनंद लेते हैं. यहां समय बिताने के लिए खई रिजॉर्ट भी हैं, जहां से वैली का व्यू काफी खूबसूरत नजर आता है. यह जगह कैंपिंग और ट्रैकिंग के लिए भी बेस्ट मानी जाती है.
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