कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी की शुरुआत के साथ ही वैज्ञानिक और चिकित्सा विशेषज्ञों ने वायरस का अध्ययन करना और इसकी जटिलताओं को समझने की कोशिश शुरू कर दी थी. यही वजह है कि एक साल से भी कम समय में दुनिया भर में कोरोना की वैक्सीन विकसित कर ली गई. पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन के रोलआउट के साथ ही लोगों ने अब राहत की सांस ली है. हालांकि, टीका लगाए जाने के बाद उसके साइड इफेक्ट (दुष्प्रभाव) ने लोगों के बीच काफी संदेह पैदा किया है. इन संदेहों में सबसे प्रमुख और चर्चित है टीका लगाए जाने के बाद कोविड आर्म (Covide arm). आज हम आपको बताएंगे आखिर क्या है कोविड आर्म और कैसे आप इसकी पहचान कर सावधान रह सकते हैं.
यदि आपने कोरोना वायरस की वैक्सीन ली है और बांह पर जहां इंजेक्शन लगाया गया उस क्षेत्र के चारों ओर सूजन के साथ ही त्वचा पर दाने पड़ गए हैं, तो संभावना है कि आपमें 'COVID arm' विकसित हो गया है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, "कोविड आर्म" रैश के साथ वो जगह है जहां वैक्सीन लगाई गई है. मेडिकल टर्म में इस स्थिति को त्वचीय अतिसंवेदनशीलता भी कहा जाता है, जो प्रतिक्रिया स्वरूप दिखाई देता है.
जिस बांह पर कोरोना वायरस की वैक्सीन लगाई जाती है वहां साइड-इफेक्ट्स के संकेत आपको टीका लगाए जाने के बाद दिखाई देते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार कोविड आर्म के कुछ सामान्य संकेत त्वचा पर लालीपन आना, सूजन और टीका लगने के आठ या उससे अधिक दिनों के बाद टीके वाले हिस्से के पास की त्वचा का कोमल हो जाना है.
विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के मुताबिक COVID Arm ज्यादा गंभीर समस्या नहीं है और इससे कोई दीर्घकालिक दिक्कत नहीं होती है. मॉडर्ना वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण के डेटा का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं का दावा है कि कोविड आर्म की समस्या चार या पांच दिनों के भीतर खत्म हो जाती है.
"COVID arm" को वैक्सीन के लिए हानिरहित प्रतिक्रिया मानी जा रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, इसमें कुछ भी हैरान करने वाला नहीं और यह पहले से ज्ञात है कि प्रतिक्रिया होगी. रिसर्चर के मुताबिक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से COVID वैक्सीन की प्रतिक्रिया होने की वजह से ऐसा होता है.
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसन की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वैक्सीन पाने वाले 12 रोगियों में चकत्ते सहित 'COVID आर्म' के लक्षण विकसित हुए थे. यह माना जाता है कि ये चकत्ते नए कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक के बाद 4 से 11 दिनों के बीच दिखाई दिए. रिसर्चर ने दावा किया कि वैक्सीन की पहली खुराक लगाए जाने के बाद 244 प्रतिभागियों में और दूसरी खुराक के बाद 68 प्रतिभागियों में ये समस्या दर्ज की गई थी.