लगभग तीन सप्ताह पहले हुई एक दुखद घटना ने भक्तों के दिलों को मायूस कर दिया था. भारी लैंडस्लाइड के कारण मां वैष्णो देवी की यात्रा को रोकना पड़ा था, लेकिन कहते हैं, "जब भगवान बुलाते हैं, तो कोई नहीं रोक सकता." ठीक 22 दिनों के बाद, बुधवार, 17 सितंबर को मां वैष्णो देवी के दरबार के द्वार भक्तों के लिए फिर से खोल दिए गए हैं.
खबर मिलते ही कटरा में रुके हज़ारों भक्तों की आंखों में खुशी चमक उठी. सुबह छह बजे से ही ‘जय माता दी’ के जयकारों से पूरी बाणगंगा घाटी गूंजने लगी. कोई पुणे से आया था, कोई दिल्ली से, लेकिन सबका मकसद एक ही था कि मां के दर्शन करके ही लौटना है. यह यात्रा भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है. 22 सितंबर से नवरात्र शुरू हो रहे हैं, ऐसे में श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है. इसके लिए श्राइन बोर्ड पूरी तरह तैयार है ताकि हर भक्त की यात्रा सुरक्षित और यादगार बन सके.
मां वैष्णो देवी की यात्रा हर भक्त का सपना होती है, लेकिन अक्सर लोग खर्च को लेकर हिचकिचा जाते हैं. अच्छी बात यह है कि दिल्ली या आसपास से केवल 5000 रुपये के बजट में भी माता के दर्शन किए जा सकते हैं.
मां वैष्णो देवी की यात्रा हर भक्त के लिए एक भावनात्मक एक्सपीरियंस होती है. दिल्ली से वैष्णो देवी मंदिर तक की दूरी लगभग 650 किलोमीटर है और इस सफ़र को तय करने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं. अगर आप सुविधा और बजट दोनों का ध्यान रखना चाहते हैं तो ट्रेन सबसे बेहतर साधन है. अच्छी बात यह है कि दिल्ली से कटरा तक रोज़ाना 20 से ज़्यादा ट्रेनें चलती हैं और इनमें वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी आधुनिक ट्रेन भी शामिल है. ट्रेन का किराया स्लीपर क्लास में लगभग 400 रुपये से शुरू होकर फ़र्स्ट एसी में 2465 रुपये तक जाता है. यानी आप अपनी जेब और आराम दोनों को ध्यान में रखते हुए आसानी से चुनाव कर सकते हैं.
जो यात्री सड़क के रास्ते यात्रा करना पसंद करते हैं, उनके लिए बस भी एक अच्छा विकल्प है. एसी सिटिंग बस का किराया 700 से 800 रुपये तक और एसी स्लीपर बस का 1100 से 1500 रुपये तक होता है. हालांकि सफ़र थोड़ा लंबा होता है, लेकिन रास्ते का नज़ारा इसे यादगार बना देता है. वहीं, अगर आप परिवार या दोस्तों के साथ जा रहे हैं तो निजी गाड़ी का सफ़र सबसे अलग एक्सपीरियंस देता है. इसमें आप अपनी मर्ज़ी से कहीं भी रुक सकते हैं, रास्ते के खूबसूरत नज़ारे देख सकते हैं और यात्रा को और भी खास बना सकते हैं. देखा जाए तो हर साधन का अपना एक अलग ही मजा है, बस ज़रूरत है सही चुनाव की.
यह भी पढ़ें: पितृपक्ष में हरिद्वार के इन 4 पवित्र स्थानों पर पिंडदान कर पाएं पितृदोष से मुक्ति
कटरा पहुंचने के बाद भक्तों को माता के दरबार तक करीब 13 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है. अधिकतर लोग इसे पैदल तय करना पसंद करते हैं, क्योंकि यह यात्रा भक्ति और विश्वास से भरी होती है. लेकिन जिनके लिए पैदल चलना मुश्किल है, वे घोड़े, पालकी या पिट्ठू का सहारा ले सकते हैं. इसके अलावा, हेलिकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है जो कटरा से संजीछत तक ले जाती है. हालांकि इसकी कीमत थोड़ी अधिक है, लेकिन समय और थकान दोनों बच जाते हैं.
यात्रा के दौरान भोजन पर रोज़ाना लगभग 500 के आसपास का खर्च आता है. नाश्ता करीब 70 रुपये, दोपहर का भोजन 100 रुपये और रात का भोजन लगभग 150 रुपये के आसपास मिलता है. इसके अलावा कटरा और रास्ते में रहने के लिए बजट होटल से लेकर धर्मशालाएं तक मौजूद हैं, जहां प्रति रात 500 से 800 रुपये में कमरा मिल सकता है.
अगर प्रसाद और चढ़ावे पर 100 से 150 रुपये और स्मृति चिन्ह या छोटी-मोटी खरीदारी पर लगभग 500 रुपये जोड़ दिए जाएं, तो पूरे सफ़र का खर्चा एक व्यक्ति के लिए करीब 5000 बैठता है. इसमें आने-जाने का किराया, ठहरना, भोजन और अन्य छोटे खर्च शामिल हैं. यानी थोड़ी सी योजना और समय पर बुकिंग के साथ आप सीमित बजट में मां वैष्णो देवी के दर्शन कर सकते हैं.