नए साल की शुरुआत बहुत से लोग भगवान राम के आशीर्वाद के साथ करना चाहते हैं, लेकिन अगर आप रामलला के दर्शन शांति और सुकून से करना चाहते हैं, तो इन दिनों अयोध्या जाने का फैसला आप पर भारी पड़ सकता है. पिछले कुछ वक्त में अयोध्या नए साल पर देश का सबसे ज्यादा भीड़ वाला धार्मिक स्थल बन गया है. आलम यह है कि सरयू स्नान, रामलला दरबार और हनुमानगढ़ी के दर्शन के लिए सुबह तड़के से ही श्रद्धालुओं की मीलों लंबी लाइनें लग जाती हैं. विशेष रूप से 31 दिसंबर और 1 जनवरी को अयोध्या में भक्तों और पर्यटकों का ऐसा भारी हुजूम उमड़ता है कि राम मंदिर में दर्शन के लिए आपको घंटों का इंतजार करना पड़ सकता है.
भीड़ का दबाव इतना अधिक होता है कि कई बार सुरक्षा कारणों से प्रशासन को मुख्य रास्ते और गलियां तक बंद करनी पड़ती हैं, जिससे श्रद्धालुओं का पूरा दिन कतारों में ही निकल जाता है. भारी संख्या में लोगों के पहुंचने की वजह से पैदल चलना भी दूभर हो जाता है और मंदिर परिसर के बाहर कतारें खत्म होने का नाम नहीं लेती. ऐसे में आस्था के साथ-साथ आपके धैर्य की भी कड़ी परीक्षा होती है, तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों नए साल पर अयोध्या जाने से बचना चाहिए और वहां की चुनौतियां क्या हैं?
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होटल का संकट और मौसम की मार
ठहरने की व्यवस्था की बात करें तो नए साल की इस अवधि में अयोध्या के अधिकांश होटल, धर्मशालाएं और होमस्टे पूरी तरह से बुक हो जाते हैं. इससे यहां आने वाले यात्रियों के लिए रहने की जगह मिलना काफी मुश्किल हो जाता है और उपलब्ध आवासों की दरें भी काफी बढ़ जाती हैं. वहीं दूसरी ओर, जनवरी का महीना अयोध्या में सबसे ठंडा होता है और यहां इन दिनों तेज कोहरा पड़ता है. इस कोहरे की वजह से ट्रेनें कई-कई घंटे लेट चल रही हैं, जिससे यात्रियों को स्टेशन और रास्तों में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
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अगर आप शांतिपूर्ण और आरामदायक दर्शन चाहते हैं, तो नए साल की छुट्टियों के बाद अयोध्या जाने की योजना बनाना आपके लिए सबसे बेहतर होगा. जब भीड़ कम हो जाए, तब यात्रा करने से आप सुकून के साथ रामलला के दर्शन कर पाएंगे और आपको ठहरने या आने-जाने में कोई बड़ी समस्या नहीं होगी. अपनी श्रद्धा और भक्ति का पूरा आनंद लेने के लिए थोड़ा इंतजार करना ही इस समय समझदारी भरा फैसला है, लिहाजा. भीड़ और कड़ाके की ठंड से बचने के लिए अपनी यात्रा को छुट्टियों के बाद के लिए टाल देना ही आपके लिए सुखद रहेगा.
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