जब भी बिहार का नाम लिया जाता है, लोगों के दिमाग में सबसे पहले राजनीति, गरीबी या पलायन की बातें आती हैं. लेकिन यकीन मानिए, बिहार सिर्फ इतना नहीं है. ये मिट्टी इतिहास, संस्कृति, स्वाद, शिक्षा और आस्था को अपने भीतर समेटे हुए है. यहां की हर गली, हर त्योहार और हर परंपरा कुछ कहती है. जानते हैं बिहार के वो 5 अनजान और अनोखे पहलू, जो इस राज्य को बाकी सब से अलग और खास बनाते हैं.
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बिहार का नाम आते ही लिट्टी-चोखा जरूर याद आता है, लेकिन यहीं तक कहानी खत्म नहीं होती. यहां का खाजा (विशेषकर सिलाव का), ठेकुआ, सत्तू पराठा और दही-चूड़ा जैसे व्यंजन न सिर्फ स्वाद में बेमिसाल हैं, बल्कि हर त्योहार और हर घर की पहचान हैं. ये खाने बिहार की सादगी और मिट्टी से जुड़ी आत्मा का स्वाद हैं, जो एक बार चख लिया तो भूलना मुश्किल है.
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क्या आप जानते हैं कि बिहार की गिनती टेक्नोलॉजी के मामले में रिकॉर्ड बनाने वाले राज्यों में होती है? पटना के नाम पर एक खास उपलब्धि दर्ज है. दरअसल यह शहर दुनिया के सबसे लंबे (20 किलोमीटर से ज्यादा) वाई-फाई नेटवर्क वाले शहरों में से एक रहा है. जो कि यह दर्शाता है कि बिहार ने डिजिटल भारत की नींव रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.यह उदाहरण दिखाता है कि बिहार अब सिर्फ गौरवशाली इतिहास नहीं, बल्कि आधुनिक और डिजिटल प्रगति का एक प्रेरणास्रोत भी है.
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बिहार में सोनपुर का मेला सिर्फ एक मेला नहीं है, यह एशिया का सबसे बड़ा पशुओं का बाजार है, जो कि यह दिखाता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में पशुओं का कितना महत्व है. यहां हाथियों की बड़ी भीड़ से लेकर गाय, घोड़े तक सब का कारोबार होता है. फसल कटाई के बाद जब पूरे देश के लोग सोनपुर मेले में खुशी से जमा होते हैं, तब यह मेला ग्रामीण जीवन की असली रौनक, सदियों पुराने विश्वास और देशव्यापी मेल-जोल का एक अद्भुत नजारा पेश करता है.
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बिहार को ज्ञान और शिक्षा की जन्मभूमि कहा जाता है और इसका सबसे बड़ा सबूत है नालंदा विश्वविद्यालय. यह सिर्फ एक पुरानी इमारत नहीं है, यह दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटीज में से एक है. सदियों पहले, जब दुनिया के बाकी हिस्सों में शिक्षा का ऐसा कोई बड़ा केंद्र नहीं था, तब नालंदा में हजारों छात्र दूर-दूर से पढ़ने आते थे. यह इस बात का प्रमाण है कि भारत में ज्ञान की रोशनी सबसे पहले बिहार से ही फैली थी, जिसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया.
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बिहार की छठ पूजा को अब एक बड़ा ग्लोबल त्यौहार माना जाता है. यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और सूर्य देव के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त करने का एक खूबसूरत तरीका है. इस पूजा में साफ-सफाई, नदियों के प्रति श्रद्धा और उगते-डूबते सूर्य दोनों को पूजने का जो संदेश है, वह इसे बाकी सभी त्योहारों से अलग बनाता है. बिहार ने इस परंपरा के ज़रिए अपनी जीवंत और मजबूत संस्कृति की झलक पूरी दुनिया को दिखाई है.
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