शाहजहां (Shah Jahan) मुगल साम्राज्य का पांचवा शासक था, जिसने 1628 से 1658 तक शासन किया. उसका असली नाम खुर्रम था, और वे मुगल सम्राट जहांगीर का बेटा था. शाहजहां को भारतीय स्थापत्य कला के स्वर्ण युग के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से ताजमहल के निर्माण के लिए, जो उसने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था. ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में शामिल है. ताजमहल को बनाने वाला कलाकार उस्ताद अहमद लाहौरी था.
इसके साथ ही शाहजहां ने दिल्ली का लालकिला, दीवाने आम, दीवाने खास, दिल्ली की जामा मस्जिद, आगरा की मोती मस्जिद बनवाई.
जोधपुर के शासक मोटा राजा उदय सिंह की बेटी जगत गोसाई के गर्भ से 5 जनवरी 1592 ई खुर्रम शाहजहां का जन्म लाहौर में हुआ था. 24 फरवरी 1628 ईं में शाहजहां आगरा में अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-साहिब की उपाधि प्राप्तकर सिंहासन पर बैठा. शाहजहां ने आसफ खान को वजीर पद प्रदान किया. इसने महावत को खानखाना की उपाधि प्रदान की.
शाहजहां के चार पुत्रों – दारा शिकोह, औरंगजेब, शाह शुजा और मुराद बख्श के बीच उत्तराधिकारी बनने के लिए युद्ध हुआ. अंततः 1658 में औरंगजेब ने शाहजहां को बंदी बना लिया और उसे आगरा किले में नजरबंद कर दिया, जहां 1666 में उसकी मृत्यु हो गई.
ताजमहल को आज पूरी दुनिया जानती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका असली और पहला नाम ‘रऊजा-ए-मुनव्वरा’ था? जानिए क्यों और कब इसका नाम बदला गया, और कैसे यह प्यार की सबसे खूबसूरत निशानी बन गई.
नाटक की शुरुआत प्रभाव डालती है. वह दर्शकों को अभ्यास कराती है कि आप प्ले देखने आए हैं तो सिर्फ मंच के भरोसी मत रहिए, पूरे सभागार में चारों तरफ नाटक है, चारों ओर मंच है. हर ओर दर्शक है और खुद दर्शक भी नाटक का सबसे अहम किरदार है. निर्देशक का ये अंदाज लोगों को पहली ही पंक्ति से नाटक से जोड़ देता है.
औरंगजेब के सामने जब दाराशिकोह का कटा हुआ सिर लाया गया तो वह खून से सना था. औरंगजेब उसे कुछ देरतक देखता रहा और फिर कहा, इसके खून को साफ कर ठीक से लाया जाए. हुक्म की तामील हुई और जब इस बार सिर लाया गया तो औरंगजेब ने इसे गौर से देखकर पहचान की और तसल्ली कर लेने के बाद कि कटा हुआ सिर दाराशिकोह का ही है, उसने अगला आदेश दिया. ये आदेश था, सिर को आगरा ले जाने का...