सारनाथ (Sarnath) उत्तर प्रदेश राज्य में वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित एक ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व वाला स्थल है. यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है क्योंकि यहीं भगवान गौतम बुद्ध ने अपना पहला धर्म उपदेश दिया था जिसे 'धर्मचक्र प्रवर्तन' कहा जाता है. सारनाथ हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्मों की संगम स्थली भी माना जाता है.
सारनाथ का प्राचीन नाम 'ऋषिपत्तन' या 'मृगदाव' था. ऐसा माना जाता है कि बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद यहीं अपने पांच पूर्वसाथियों—कौण्डिन्य, भद्रिक, वप, महानाम और अश्वजित को पहला उपदेश दिया. इस उपदेश से ही बौद्ध संघ की स्थापना हुई. सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को फैलाने हेतु यहां कई स्तूपों, विहारों और स्मारकों का निर्माण कराया.यहीं पर अशोक स्तंभ भी स्थित है, जिसके शीर्ष पर चार शेरों की मूर्ति है जो आज भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है.
यहां के मुख्य दर्शनीय स्थलों में धमेख स्तूप, अशोक स्तंभ, मुलगंध कुटी विहार, सारनाथ पुरातत्व संग्रहालय शामिल है. सारनाथ बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है- लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर. यहां वर्षभर देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं.