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ऋषि पंचमी

ऋषि पंचमी

ऋषि पंचमी

ऋषि पंचमी (Rishi Panchami), चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद माह में गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद पड़ने वाले पंचमी को मनाया जाता है. यह सप्त ऋषि की पारंपरिक पूजा है, जिसमें सात ऋषि - कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम महर्षि, जमदग्नि और वशिष्ठ की आराधना की जाती है (Rishi Panchami Festival). 2025 में यह 28 अगस्त को मनाया गया (Rishi Panchami Date). 

ऋषि पंचमी के दिन लोग व्रत भी रखते हैं. व्रत में लोग उन प्राचीन ऋषियों के महान कार्यों का सम्मान, कृतज्ञता और उनको याद कर भजन किर्तन करते हैं. ऋषि, जिन्होंने समाज के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया उनके लिए महिलाएं व्रत रखती हैं (Rishi Panchami Vrat).

कई स्थानों पर ऋषि पंचमी के दिन पवित्र नदियों, तालाबों या अन्य जलधाराओं में स्नान किया जाता है. इस दिन भगवान गणेश, नवग्रह, सप्तर्षि और अरुंधति की पूजा भी की जाती है. महिलाएं घर में मंदिर की सफाई कर देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराते हैं. फिर घी का दीया और धूप जलाकर कर सप्त ऋषि के तस्वीर पर चंदन या रोली का टीका कर पुष्प अर्पित करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं. पूजा के दौरान भक्त अपने गलतियों की माफी मांगते हुए भगवान से अपने सुख-शांति के लिए प्रार्थना करते हैं (Rishi Panchami Worship).

ऋषि पंचमी को कुछ लोग जैसे राजस्थान के अग्रवाल और माहेश्वरी और कायस्थ समुदायों द्वारा दान और दक्षिणा देने की भी परंपरा है (Rishi Panchami). 

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