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Rishi Panchami 2025: ऋषि पंचमी का पर्व है आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Rishi Panchami 2025: ऋषि पंचमी का पर्व हर महीने भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है. यह पर्व गणेश चतुर्थी के अगले दिन पड़ता है. इस पर्व के दिन सप्त ऋषियों के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यह व्रत जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति दिलाता है. यह पर्व गणेश चतुर्थी के अगले दिन पड़ता है.

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ऋषि पंचमी पर सप्तऋषियों की उपासना जाती है (Photo Credti: Pixabay)
ऋषि पंचमी पर सप्तऋषियों की उपासना जाती है (Photo Credti: Pixabay)

Rishi Panchami 2025: इस बार ऋषि पंचमी का पवित्र त्योहार 28 अगस्त यानी आज मनाया जाएगा. हर साल यह व्रत भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष पंचमी को रखा जाता है. इस दिन जो लोग व्रत करते हैं और सप्त ऋषियों की पूजा करते हैं, उन्हें अपने सारे पापों से मुक्त होने का वरदान मिलता है. यह व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों रख सकते हैं. माना जाता है कि जो भी अपनी गलतियों और पापों से छुटकारा पाना चाहता है, वह इस व्रत को आसानी से कर सकता है. 

ऋषि पंचमी का महत्व (Rishi Panchami 2025 Significance)

हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का व्रत सप्तऋषियों की पूजा करने के लिए हर साल मनाया जाता है. कई जगहों पर ऐसा माना जाता है ऋषि पंचमी का व्रत संतान के सुख, वैवाहिक जीवन की खुशहाली और घर में समृद्धि के लिए महिलाएं खासतौर पर करती हैं. सप्त ऋषियों की पूजा करके वे उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं.

कहा जाता है कि जो लोग ऋषि पंचमी का व्रत करते हैं, उनके पिछले जन्म के जो भी पाप हैं, वे सब नष्ट हो जाते हैं. साथ ही इस जन्म में उन्हें अच्छे पुण्य मिलते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है. इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है.

ऋषि पंचमी का शुभ मुहूर्त (Rishi Panchami 2025 Shubh Muhurat)

इस बार ऋषि पंचमी की पंचमी तिथि 27 अगस्त यानी कल दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 28 अगस्त यानी आज शाम 5 बजकर 56 मिनट पर होगा. आज पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 5 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक रहेगा और इस समय में पूजन करने से विशेष फल भी प्राप्त होगा. 

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ऋषि पंचमी क्या रहेगी पूजन विधि (Rishi Panchami Puja Vidhi)

सुबह उठकर साफ-सफाई करके स्नान कर लें और व्रत का संकल्प लें. अपने घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और देवी-देवताओं को उचित स्थान दें. फिर गंगाजल लेकर सप्त ऋषियों की तस्वीर लें, उन्हें स्नान कराएं और पूजन करें. तिलक लगाएं, अक्षत और पुष्प अर्पित करें, फल और मिठाई भी उनकी भोग लगाएं. इसके बाद ऋषि पंचमी की कथा सुनें, आरती करें और सब पापों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें.

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