रंजन गोगोई, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश
रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (Former CJI) हैं, जिन्होंने 2018-2019 के बीच भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में 13 महीने का कार्यकाल पूरा किया. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President of India, Ram Nath Kovind) द्वारा 19 मार्च, 2020 को संसद सदस्य (Member of Parliament) के रूप में नामित किए जाने के बाद उन्होंने अपना पद ग्रहण किया. वे भारतीय संसद के राज्यसभा में सेवा देने वाले सर्वोच्च न्यायालय के तीसरे न्यायाधीश भी हैं.
रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को (Date of Birth) डिब्रूगढ़, असम (Dibrugarh, Assam) में हुआ था. वह एक शाही ताई-अहोम परिवार से हैं. उनके पिता केसब चंद्र गोगोई (Kesab Chandra Gogoi) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और 1982 में असम के मुख्यमंत्री (Kesab Chandra Gogoi) भी रहे हैं. रंजन गोगोई के चार भाई-बहन हैं, जिनके नाम अंजन गोगोई, निरंजन गोगोई और दो छोटी बहनों के नाम इंदिरा और नंदिता है. गोगोई ने अपनी स्कूली शिक्षा डिब्रूगढ़ के डॉन बॉस्को स्कूल (Don Bosco School) से पूरी की और फिर सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली (St. Stephens College) से कानून की डिग्री (LLB) भी प्राप्त की. उन्हें 1978 में बार में नामांकित किया गया.
रंजन गोगोई ने 90 के दशक में रूपांजलि गोगोई (Rupanjali Gogoi) से शादी की और इनके दो बच्चें हैं, लड़के का नाम रक्तिम गोगोई और लड़की का नाम रश्मि गोगोई है (Gogoi’s Children).
गोगोई के कुछ महत्वपूर्ण आदेशों और फैसलों में, अयोध्या विवाद (Ayodhya Verdict) का फैसला. साथ ही असम के निवासी, गोविंदस्वामी बनाम केरल राज्य, अमिताभ बच्चन की आय का आंकलन, कामिनी जायसवाल की याचिका में कन्हैया पर एसआईटी जांच भी शामिल (Gogoi Verdicts) है. रंजन गोगोई भारत के उन 63 व्यक्तियों में से एक हैं जिन्हें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा जेड प्लस सुरक्षा (Z Plus Security) कवर दिया गया है.
संयुक्त संसदीय समिति के सामने एक देश एक चुनाव मुद्दे पर पूर्व CJI जस्टिस रंजन गोगोई, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और वकील हरीश साल्वे अपना राय रखेंगे. होली के बाद पांचवीं बैठक 17 मार्च को प्रस्तावित है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने वकील अपनी याचिका के बारे में बता रहा था, तभी डीवाई चंद्रचूड़ ने वकील से कहा कि बेंच के सवाल का जवाब देते वक्त 'Yea, Yea, Yea' न कहें, इसके बजाय 'Yeah, Yeah, Yeah' कहें.
न्यायाधीशों का राजनीति में प्रवेश सिर्फ हाईकोर्ट तक सीमित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट से भी ऐसे कई उदाहरण हैं, जब सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों ने राजनीति में प्रवेश किया और कई संवैधानिक पदों पर रहे.
जस्टिस नजीर सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए कई अहम फैसलों वाली बेंच का हिस्सा रहे हैं. इसमें 2019 में अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला भी शामिल है. इस मामले में पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था. इस बेंच में रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर शामिल थे. आईए जानते हैं कि अभी ये जज कहां है?