प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) भारतीय राजनीति की वह शख्सियत रहे हैं, जिन्होंने न केवल सत्ता के हर गलियारे में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई, बल्कि देश के हर महत्वपूर्ण मोड़ पर अपनी बुद्धिमत्ता, अनुभव और संतुलित दृष्टिकोण से मार्गदर्शन किया. वे उन विरले नेताओं में गिने जाते हैं जिन्होंने कभी प्रधानमंत्री नहीं बने, लेकिन लगभग हर प्रधानमंत्री के भरोसेमंद सलाहकार जरूर रहे. 2012 में प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति बने.
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिराती गांव में हुआ था. उनके पिता, कामदा किंकर मुखर्जी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कांग्रेस के नेता थे. प्रणब दा, जैसा कि लोग उन्हें सम्मानपूर्वक बुलाते थे, ने राजनीति विज्ञान, इतिहास और कानून में उच्च शिक्षा प्राप्त की. शिक्षा के प्रति उनकी यह गंभीरता आगे चलकर उनके राजनीतिक निर्णयों की गहराई में भी नजर आई.
प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1969 में की, जब उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राज्यसभा के लिए नामित किया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वे वित्त, विदेश, रक्षा और वाणिज्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में मंत्री पद पर रहे. उन्होंने छह बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया.
1982 से 1984 और फिर 2009 से 2012 तक वे भारत के वित्त मंत्री रहे. उन्होंने कई आर्थिक सुधारों की शुरुआत की और भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में मदद की. जीएसटी और प्रत्यक्ष कर संहिता जैसे बड़े सुधारों की नींव भी उनके कार्यकाल में रखी गई.
प्रणब मुखर्जी को 2019 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया. 31 अगस्त 2020 को उनका निधन हो गया.
प्रणब मुखर्जी की पत्नी सुव्रा मुखर्जी (Suvra Mukherjee) एक प्रसिद्ध उत्साही रवींद्र संगीत गायिका, चित्रकार व सामाजिक- सांस्कृतिक कार्यकर्ता थीं. उनका अगस्त 2015 में न्यू दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में हृदय संबंधी समस्या के कारण निधन हो गया था.
उनके 3 संतान हैं. अभिजीत मुखर्जी, जो कांग्रेस के नेता व लोकसभा सांसद रहे (2012–2019). इंद्रजीत मुखर्जी, जिन्होंने राजनीति से दूरी रखी और बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी, जो एक प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना, कोरियोग्राफर और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नेता रही.
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने “Pranab, My Father: A Daughter Remembers” नामक पुस्तक लिखी, जिसमें अपने राजनीतिक और पारिवारिक अनुभवों को साझा किया.