मोरारजी देसाई (Morarji Desai) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, गांधीवादी नेता और देश के चौथे प्रधानमंत्री थे. वे भारतीय राजनीति में अपनी ईमानदारी, सादगी और कठोर अनुशासन के लिए प्रसिद्ध थे. उनका पूरा नाम मोरारजी रणछोड़जी देसाई था.
वे भारत के सबसे वृद्ध प्रधानमंत्री बने जब उन्होंने 81 वर्ष की आयु में पद ग्रहण किया. देसाई स्वास्थ्य और योग के बड़े समर्थक थे और अपने अनुशासित जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध थे. उन्हें भारत रत्न (1991) और निशान-ए-पाकिस्तान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान भी मिले.
मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी 1896 को गुजरात के भदेली गांव (वर्तमान वलसाड जिला) में हुआ था. उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे. देसाई ने बंबई विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की और कुछ समय तक सरकारी नौकरी की, लेकिन बाद में उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया.
मोरारजी देसाई ने 'असहयोग आंदोलन', 'नमक सत्याग्रह' और 'भारत छोड़ो आंदोलन' में सक्रिय भाग लिया. उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। वे गांधीजी के सिद्धांतों, विशेषकर सत्य और अहिंसा, के प्रति पूरी तरह समर्पित थे.
स्वतंत्रता के बाद मोरारजी देसाई ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता के रूप में अपनी भूमिका निभाई. वे बॉम्बे प्रांत (अब महाराष्ट्र और गुजरात) के मुख्यमंत्री (1952-1956) बने, भारत के वित्त मंत्री (1958-1963) रहे और भारत के उप प्रधानमंत्री (1967-1969) भी बने.
लेकिन कांग्रेस पार्टी के आंतरिक मतभेदों के कारण वे इंदिरा गांधी से अलग होकर जनमोर्चा में शामिल हो गए.
1977 में देश में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी. मोरारजी देसाई जनता पार्टी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री बने. वे भारत के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे. उन्होंने 24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979 तक देश का नेतृत्व किया.
उनके शासनकाल में आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों की जांच कराई गई और लोकतंत्र को पुनः स्थापित किया गया. उन्होंने शासन में पारदर्शिता और सादगी को बढ़ावा दिया.
मोरारजी देसाई का निधन 10 अप्रैल 1995 को 99 वर्ष की आयु में हुआ. वे आज भी एक ईमानदार और अनुशासित राजनेता के रूप में याद किए जाते हैं.