मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (Mehandipur Balaji) राजस्थान के दौसा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है, जो भगवान हनुमान के बाल रूप 'बालाजी' को समर्पित है. यह मंदिर विशेष रूप से भूत-प्रेत बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है. मान्यता है कि यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है जहां भूत-प्रेतों की "पेशी" होती है और बालाजी महाराज स्वयं निर्णय सुनाते हैं.
इस मंदिर का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना माना जाता है. कहा जाता है कि एक संत श्री गणेशपुरी जी महाराज के पूर्वजों को स्वप्न में भगवान बालाजी ने दर्शन दिए और उन्हें इस स्थान पर मंदिर स्थापित करने का आदेश दिया. उस समय यह क्षेत्र घना जंगल था, जो अब एक तीर्थस्थल के रूप में विकसित हो चुका है.
यहां तीन देवताओं की पूजा होती है- श्री बालाजी महाराज, प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा. भगवान बालाजी की प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है, जो काले पत्थर से बनी हुई है.
मंदिर में आने वाले भक्तों को एक सप्ताह तक मांस, शराब, लहसुन, प्याज और अंडे का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है. यहां पेड़े का प्रसाद वितरित किया जाता है, जिसे भक्त बड़ी श्रद्धा से ग्रहण करते हैं.
मंदिर जयपुर-आगरा हाईवे (NH 11) पर स्थित है, जो जयपुर से लगभग 103 किमी, दिल्ली से 265 किमी और आगरा से 221 किमी दूर है. निकटतम रेलवे स्टेशन बांदीकुई जंक्शन है, जो मंदिर से लगभग 35 किमी दूर है. यह स्टेशन दिल्ली, जयपुर और आगरा जैसे प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.
अधिक जानकारी, दर्शन समय, और अन्य सेवाओं के लिए मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट shribalajimehandipur.org है.
राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी में श्रद्धालुओं के साथ मारपीट का मामला सामने आया है. एक वीडियो में आधा दर्जन सुरक्षा गार्ड दर्शन के लिए कतार में लगे श्रद्धालुओं पर बेरहमी से डंडे बरसाते दिख रहे हैं. यह बदसलूकी फरीदाबाद के एक परिवार के साथ हुई है, जो सुबह 9:00 बजे दर्शन के लिए लाइन में खड़ा था. सुरक्षा गार्ड्स ने बिना किसी उकसावे के लाठी-डंडों से हमला शुरू कर दिया.
राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में दर्शन के लिए लाइन में लगे श्रद्धालुओं पर सुरक्षा गार्डों ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया. वीडियो सामने आने के बाद तीन गार्ड गिरफ्तार हुए हैं. पीड़ितों ने मारपीट और महिलाओं से बदसलूकी की शिकायत दर्ज कराई है. घटना के बाद श्रद्धालुओं में भारी आक्रोश है और मंदिर प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं.