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मेजर ध्यानचंद

मेजर ध्यानचंद

मेजर ध्यानचंद

ध्यानचंद भारतीय हॉकी के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक थे. उन्हें "हॉकी का जादूगर" (Wizard of Hockey) के नाम से जाना जाता है. ध्यानचंद ने भारत को अंतरराष्ट्रीय हॉकी में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और उनके खेल ने दुनिया भर में भारतीय हॉकी को प्रतिष्ठित बनाया. उन्होंने 1928 (एम्स्टर्डम), 1932 (लॉस एंजेलिस), और 1936 (बर्लिन) में तीन स्वर्ण पदक जीते. ध्यानचंद का योगदान भारतीय हॉकी और खेल जगत में अतुलनीय है. उनके नाम पर दिल्ली का ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार भी है.

ध्यानचंद ने अपने करियर में 400 से अधिक गोल किए. उनका नियंत्रण, ड्रिब्लिंग, और गोल करने की क्षमता अतुलनीय थी. यह ध्यानचंद के करियर का सबसे यादगार पल था, जहां भारतीय टीम ने जर्मनी को 8-1 से हराया. खुद हिटलर ने ध्यानचंद से प्रभावित होकर उन्हें जर्मन सेना में एक उच्च पद की पेशकश की, जिसे उन्होंने विनम्रता से ठुकरा दिया.

उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण (1956) से सम्मानित किया. उनका जन्मदिन 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.

ध्यानचंद मैदान पर अपने अनुशासन और खेल भावना के लिए प्रसिद्ध थे. उनकी स्टिक से खेलना ऐसा प्रतीत होता था जैसे गेंद उनके आदेश पर चल रही हो.

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