किरण बेदी (Kiran Bedi) एक महान शख्सियत हैं. वह भारत की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर हैं (First Woman IPS Officer of India). साथ ही वह एक पूर्व टेनिस खिलाड़ी भी हैं, जिन्होंने 1966 में राष्ट्रीय जूनियर टेनिस चैंपियन का ताज पहना और 1965 और 1978 के बीच, विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय चैंपियनशिप में कई खिताब जीते.
किरण बेदी 28 मई 2016 से 16 फरवरी 2021 तक पुडुचेरी की 24वीं उपराज्यपाल भी रहीं हैं. 2007 में पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के महानिदेशक के रूप में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी. वह 35 वर्षों तक सेवा में रहीं.
किरण बेदी का जन्म 9 जून 1949 को अमृतसर में एक पंजाबी व्यवसायी परिवार में हुआ था. उनके पिता प्रकाश लाल पेशावरिया और मां प्रेम लता थी. उनकी तीन बहनें हैं- शशि, रीता और अनु. उनके परदादा लाला हरगोबिंद पेशावर से अमृतसर चले आए थे.
किरण के पति बृज बेदी हैं, जिनसे वह अमृतसर के टेनिस कोर्ट पर मिली थी. उनकी एक बेटी- साइना है. बृज बेदी का 31 जनवरी 2016 को निधन हो गया.
बेदी की पहली पोस्टिंग 1975 में दिल्ली के चांदनी चौक सबडिवीजन में हुई थी. उसी वर्ष, वह 1975 में गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली पुलिस की सभी पुरुष टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनीं.
उनकी बेटी 3 वर्ष की आयु से नेफ़्राइटिक सिंड्रोम से पीड़ित थी और उस समय गंभीर रूप से बीमार थी. बेदी ने गृह मंत्रालय से अनुरोध किया कि जब तक उनकी बेटी की हालत स्थिर नहीं हो जाती, तब तक उन्हें दिल्ली से बाहर स्थानांतरित न किया जाए.
बाद में उनको मार्च 1983 में तीन साल के कार्यभार पर गोवा भेजा गया. दिल्ली वापस आने के बाद उन्होंने अक्टूबर 1985 में डीजीआईसी छोड़ दिया.
1986 में, बेदी दिल्ली के उत्तरी जिले की डीसीपी बनीं, जहां उन्होंने उस वक्त की सभसे बड़ समस्या बन चुकी नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर काम किया.
इसी विषय पर उन्होंने मिजोरम में रहते हुए अपने पीएचडी शोध पूरा किया. सितंबर 1993 में, उन्हें नशीली दवाओं के दुरुपयोग और घरेलू हिंसा पर उनके शोध के लिए आईआईटी दिल्ली के सामाजिक विज्ञान विभाग ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया.
मिजोरम में रहने के दौरान, उन्होंने अपनी आत्मकथा भी लिखना शुरू की.
मई 1993 में उन्हें दिल्ली जेल में महानिरीक्षक (IG) के पद पर तैनात किया गया. दिल्ली की तिहाड़ जेल को चार जेलों वाले परिसर के रूप में बनाया गया था, जिसकी क्षमता 2,500 कैदियों की थी. बेदी ने तिहाड़ को एक आदर्श जेल में बदलने का फैसला किया. उन्होंने जेल में कई सुधार किए.
उन्होंने कठोर अपराधियों के लिए अलग बैरक की व्यवस्था की और अन्य कैदियों के लिए प्रमाणपत्रों के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की, ताकि वे अपनी रिहाई के बाद नौकरी पा सकें.
उनके कार्यकाल के दौरान, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय ने जेल के अंदर अपने केंद्र स्थापित किए ताकि कैदी शिक्षित हो सके.
इस तरह किरण बेदी ने कई ऐसे समाज सुधारक काम किए जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है.
पूर्व आईपीएस अधिकारी और पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी ने जनसुनवाई के महत्व और सुरक्षा पहलुओं पर बात की है. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राजनिवास में अपनाई गई जनसुनवाई प्रणाली का उल्लेख किया, जिसमें एक व्यवस्थित प्रक्रिया शामिल थी. बेदी ने बताया कि कैसे लोगों को टोकन देकर, स्क्रीनिंग करके और एक बफर दूरी बनाए रखकर सुनवाई की जाती थी.
किरण बेदी ने कहा कि इन लोगों का काम भारत में भाषा और जाति के आधार पर हिंदुओं के बीच मतभेद बढ़ाने का काम सौंपा गया है. एक पूर्व आईएसआई अधिकारी कर्नल हफीजुल्लाह इस टीम की अगुवाई कर रहा है.
देश की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर किरण बेदी की जिंदगी पर बेस्ड फिल्म बेदी का अनाउंसमेंट हो गया है. इसी बीच किरण बेदी और फिल्म के डायरेक्टर कुशाल चावला ने आजतक डिजिटल के साथ खास बातचीत की. इस दौरान बेदी ने फिल्म के साथ-साथ उनकी निजी जिंदगी और लव लाइफ को लेकर भी बेबाकी से बात की.
देश की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर किरण बेदी की जिंदगी पर बेस्ड फिल्म बेदी का अनाउंसमेंट हो गया है. मेकर्स ने बड़े ही धांसू म्यूजिक के साथ फिल्म का मोशन पोस्टर जारी किया है. इसी बीच किरण बेदी और फिल्म के डायरेक्टर कुशाल चावला ने आजतक डिजिटल के साथ खास बातचीत की. इस दौरान बेदी ने फिल्म के साथ-साथ निजी जिंदगी को लेकर भी बेबाकी से बात की.
देश का गौरव, पहली महिला आईपीएस ऑफिसर Kiran Bedi की बहादुरी असल जिंदगी को दिखाने के लिए आ रही है फिल्म Bedi. इसे रिलीज 2025 में किया जाएगा. फिल्म को लेकर किरण बेदी से खास बातचीत में उन्होंने कई राज खोले. देखें ये खास बातचीत जो आपके जीवन को नई प्रेरणा देगी.