करीमगंज (Karimganj) असम राज्य के दक्षिणी हिस्से में स्थित एक महत्वपूर्ण जिला है, जो बराक घाटी का अहम हिस्सा माना जाता है. यह जिला बांग्लादेश की सीमा के निकट स्थित है और अपनी सांस्कृतिक विविधता, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तथा प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. करीमगंज जिला प्रशासनिक, व्यापारिक और शैक्षणिक दृष्टि से क्षेत्र में विशेष स्थान रखता है.
करीमगंज शहर जिले का मुख्यालय है और बराक नदी के तट पर बसा हुआ है. यह इलाका लंबे समय तक बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा रहा, जिस कारण यहाँ बंगाली संस्कृति और भाषा का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है. हिंदी, असमिया और अंग्रेज़ी भी यहाँ प्रचलित भाषाएं हैं.
जनसंख्या की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार करीमगंज जिले की कुल आबादी लगभग 12.17 लाख (12,17,002) थी. इसमें ग्रामीण आबादी का अनुपात अधिक है और जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. धान, जूट, चाय और सब्जियों की खेती यहां बड़े पैमाने पर होती है. इसके अलावा मछली पालन भी लोगों की आजीविका का महत्वपूर्ण साधन है.
शिक्षा के क्षेत्र में करीमगंज ने बीते वर्षों में अच्छी प्रगति की है. यहां कई कॉलेज, स्कूल और तकनीकी संस्थान मौजूद हैं. करीमगंज रेलवे स्टेशन और सड़क नेटवर्क के माध्यम से यह जिला असम के अन्य हिस्सों और त्रिपुरा, मिजोरम जैसे राज्यों से जुड़ा हुआ है.
प्राकृतिक रूप से करीमगंज हरे-भरे खेतों, नदियों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है. सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोक संगीत और पारंपरिक त्योहार यहां की पहचान हैं.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर के सम्मान में करीमगंज जिले का नाम बदलकर श्रीभूमि रखा जाएगा.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि कांग्रेस को वोट देकर कोई फायदा नहीं है क्योंकि कोई अगर जीतता भी है तो वह बीजेपी में आ जाएगा. कांग्रेस के लोग कांग्रेस में रहेंगे या नहीं, इस पर भी संदे है. क्योंकि हर कोई बीजेपी में आना चाहता है.
लोकसभा चुनाव 2024 बेहद नज़दीक हैं. नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा ज़ोर लगा रही है. वहीं, विपक्षी दल भी उलटफेर करने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. चुनाव से पहले असम की करीमगंज सीट पर क्या हैं सियासी समीकरण, वीडियो में जानिए. (रिपोर्ट: दिलीप कुमार सिंह)