झारखंड लोक सेवा आयोग (Jharkhand Public Service Commission - JPSC) राज्य सरकार द्वारा स्थापित एक संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य राज्य में विभिन्न सरकारी पदों के लिए योग्य और सक्षम उम्मीदवारों की नियुक्ति करना है. यह आयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 के अंतर्गत गठित किया गया है.
जेपीएससी की स्थापना 2001 में की गई थी, जब झारखंड राज्य का गठन हुआ. इसका मुख्य उद्देश्य झारखंड राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करना और पारदर्शी, निष्पक्ष तथा दक्ष भर्ती प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है.
जेपीएससी निम्नलिखित कार्यों के लिए जिम्मेदार है -
राज्य स्तरीय परीक्षाएं आयोजित करना – जैसे कि संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा, जो राज्य के विभिन्न विभागों में अधिकारी नियुक्त करने के लिए होती है.
सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती करना – जैसे कि सहायक अभियंता, चिकित्सा अधिकारी, प्रोफेसर.
सेवा नियमों और पदोन्नति से संबंधित सुझाव देना.
शासन को प्रशासनिक सुधारों और योग्यता परीक्षणों पर सलाह देना.
जेपीएससी की सबसे प्रमुख परीक्षा है "झारखंड संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा". इस परीक्षा के माध्यम से राज्य प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा, वित्त सेवा आदि पदों पर नियुक्ति की जाती है. यह परीक्षा तीन चरणों में होती है-
प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Exam)
मुख्य परीक्षा (Main Exam)
साक्षात्कार (Interview)
जेपीएससी को पिछले वर्षों में कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. परीक्षा में देरी और परिणाम में विलंब और पारदर्शिता की कमी, कभी-कभी कोर्ट केस और विवाद जैसी शिकायतों का सामना किया.
हालांकि, आयोग समय-समय पर सुधारों के जरिये अपनी प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है.
जेपीएससी की परीक्षा के नतीजे लंबे संघर्षों के दौर से गुजर रहे उम्मीदवारों के लिए सुखद एहसास लेकर आए हैं. इन नतीजों ने कई ऐसे परिवारों की जिंदगी बदल दी है जो पीढ़ियों से एक सपने को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उनका ये सपना तो साकार हो गया है. लेकिन इसके पीछे मर्मस्पर्शी कहानियां हैं.