जनकपुर (Janakpur) नेपाल के धनुषा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी है. इसे जनकपुरधाम भी कहा जाता है, यह शहर हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसे माता सीता की जन्मभूमि माना जाता है. जनकपुर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह मिथिला संस्कृति, कला और परंपराओं का भी एक जीवंत प्रतीक है.
जनकपुर का नाम राजा जनक के नाम पर पड़ा, जो त्रेता युग में मिथिला के प्रसिद्ध राजा थे और माता सीता के पिता माने जाते हैं. यह नगर रामायण काल से जुड़ा हुआ है. यहीं पर राजा जनक ने सीता स्वयंवर का आयोजन किया था, जहां भगवान श्रीराम ने शिव का धनुष तोड़कर सीता से विवाह किया.
जनकपुर हिन्दुओं के लिए एक तीर्थ स्थल है. यहां स्थित जनकपुरधाम मंदिर, जिसे जानकी मंदिर भी कहा जाता है, माता सीता को समर्पित है और यह नेपाल का सबसे बड़ा मंदिर है. यह मंदिर 1910 ई. में टिकमगढ़ की रानी वृशभानु देवी द्वारा बनवाया गया था. हर वर्ष रामनवमी, विवाह पंचमी, और दीपावली जैसे पर्व यहाँ बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं.
जनकपुर मिथिला संस्कृति का प्रमुख केंद्र है. यहां की मधुबनी पेंटिंग, पारंपरिक मैथिली भाषा, लोकगीत, और लोकनृत्य इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं. मैथिली साहित्य और संगीत का यहां विशेष स्थान है.
जनकपुर में कई प्रमुख स्थल हैं, जिनमें जानकी मंदिर, राम-सीता विवाह मंडप, धनुष सागर और गंगा सागर और विवाह मंडप मंदिर शामिल है.
जनकपुर नेपाल के प्रमुख शहरों से सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है. यहां का जनकपुर हवाई अड्डा भी यात्रियों के लिए उपलब्ध है, जिससे काठमांडू और भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों से सीधा संपर्क संभव होता है.
आज पुनौराधाम जिस जगह पर स्थित है, वह जिला सीतामढ़ी है. यह नाम भी पौराणिक घटनाओं और किवदंतियों से ही निकला हुआ है. इसका नाम अलग-अलग समय पर बदलकर आज सीतामढ़ी हुआ है. यह घटना तो सभी को पता है कि जब मिथिला में 12 वर्ष का भीषण अकाल पड़ा था, तब राजा जनक ने महान यज्ञ का अनुष्ठान किया.