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भारतीय दंड संहिता की धाराएं

भारतीय दंड संहिता की धाराएं

भारतीय दंड संहिता की धाराएं

IPC Sections

IPC भारत में होने वाले कुछ अपराधों की परिभाषा और उनके लिए सजा का प्रावधान करती है. आईपीसी में कुल 511 धाराएं हैं. जिन्हें 23 चैप्टर के तहत परिभाषित किया गया हैं. आइए आपको बताते हैं कि आईपीसी की पहली और आखरी धारा क्या है?

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी IPC भारत में होने वाले कुछ अपराधों की परिभाषा और उनके लिए सजा का प्रावधान करती है. आईपीसी में कुल 511 धाराएं हैं. जिन्हें 23 चैप्टर के तहत परिभाषित किया गया है. आइए आपको बताते हैं कि आईपीसी की पहली और आखरी धारा क्या है, उसमें कितनी सजा का प्रावधान है?

आईपीसी (IPC) की धारा 1
दरअसल, भारतीय दंड संहिता की पहली धारा 1 आईपीसी के बारे में ही संपूर्ण जानकारी देती है. साफतौर पर कहें तो धारा 1 संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार कहां-कहां लागू होता है, ये सब बताती है. यानी यह धारा 1 भारतीय दंड संहिता (IPC) के नाम और विस्तार को परिभाषित करती है. या यूं कहें कि यही धारा भारतीय दंड संहिता कहलाती है. इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत में है. 

आईपीसी की धारा 511
अब हम बात करते हैं भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी IPC की अंतिम धारा 511 के बारे में. इसे ऐसे समझते हैं कि अगर कोई शख्स किसी को चोट पहुंचाने की कोशिश करता है लेकिन कोशिश के बावजूद कामयाब नहीं हो पाता. ऐसे ही अगर कोई व्यक्ति चोरी करने का कोशिश करता है, मगर उसे सफलता नहीं मिलती. तो इस तरह की कोशिश के लिए आईपीसी में कोई प्रावधान तो नहीं है. 

लेकिन ऐसा नाकाम कोशिश करने वाले को दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास या लंबी अवधि के लिए जेल या जुर्माने की सजा दी जा सकती है. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है. इस धारा के तहत दोषी को जमानत और उसके खिलाफ अदालती कार्रवाई उसके द्वारा किए गए अपराध या अपराध की कोशिश के मद्देनजर की जाएगी. 

ब्रिटिश काल में लागू हुई थी आईपीसी
ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1 जनवरी 1862 को लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे.
 

IPC की कुल 511 धाराएं हैं जिन्हे 23 चैप्टर्स में विभाजित किया गया है. जिनमें कुछ प्रमुख धाराएं और उनके काम इस तरह हैं (IPC Sections)

आईपीसी धारा 300- हत्या.

आईपीसी धारा 301- जिस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मॄत्यु करके आपराधिक मानव वध करना.

आईपीसी धारा 302- हत्या के लिए दण्ड.

आईपीसी धारा 303- आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या के लिए दण्ड.

आईपीसी धारा 304- हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए दण्ड.

आईपीसी धारा 304क- उपेक्षा द्वारा मॄत्यु कारित करना.

आईपीसी धारा 304ख- दहेज मृत्यु.

आईपीसी धारा 305- शिशु या उन्मत्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण.

आईपीसी धारा 306- आत्महत्या का दुष्प्रेरण.

आईपीसी धारा 307- हत्या करने का प्रयत्न.

आईपीसी धारा 308- गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास.

आईपीसी धारा 309- आत्महत्या करने का प्रयत्न.

आईपीसी धारा 310- ठग.

आईपीसी धारा 311- ठगी के लिए दंड.

आईपीसी धारा 312- गर्भपात कारित करना.

आईपीसी धारा 313- स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कारित करना.

आईपीसी धारा 314- गर्भपात कारित करने के आशय से किए गए कार्यों द्वारा कारित मृत्यु.

आईपीसी धारा 315- शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य.

आईपीसी धारा 316- ऐसे कार्य द्वारा जो गैर-इरादतन हत्या की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की मॄत्यु कारित करना.

आईपीसी धारा 317- शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख करने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का परित्याग और अरक्षित डाल दिया जाना.

आईपीसी धारा 318- मृत शरीर के गुप्त व्ययन द्वारा जन्म छिपाना.

आईपीसी धारा 319- क्षति पहुंचाना.

आईपीसी धारा 320- घोर आघात.
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