हेमंत खंडेलवाल (Hemant Khandelwal) भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं. वे बैतूल से विधायक हैं. हेमंत खंडेलवाल जुलाई 2025 को पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष बने.
हेमंत खंडेलवाल का जन्म 3 सितंबर 1964 को मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था. वे वर्तमान में मध्य प्रदेश के बैतूल में रहते हैं. उन्होंने जेएच गवर्नमेंट कॉलेज, बैतूल से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री और कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की.
उनकी शादी पश्चिम बंगाल की रितु खंडेलवाल से हुई है. उनके एक एक बेटा और एक बेटी है. वे स्वर्गीय विजय खंडेलवाल के बेटे हैं. उन्होंने शिवराज सिंह चौहान की सरकार में राज्य कोषाध्यक्ष का पद संभाला था.
हेमंत खंडेलवाल ने बैतूल-हरदा लोकसभा उपचुनाव में सांसद निर्वाचित होकर राजनीति में प्रवेश किया. 2008–2009 तक लोकसभा सदस्य के रूप में कार्य किया. 2010–2013 तक बैतूल से भाजपा जिलाध्यक्ष रहे. 2013–2018 तक बैतूल सेविधायक रहे (विधानसभा क्षेत्र 131). 2014–2018 तक मध्य प्रदेश बीजेपी के कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य किया. 2023 में दोबारा बैतूल से विधायक निर्वाचित हुए.
इतना ही नहीं उन्हें 2019 में संगठनात्मक चुनाव के प्रदेश चुनाव अधिकारी बनाया गया. 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रवासी कार्यकर्ता की भूमिका निभाई. 2022 में उत्तर प्रदेश चुनाव में 15 जिलों के 61 विधानसभा क्षेत्रों के प्रवासी कार्यकर्ताओं के प्रभारी रहे. 2024 में लोकसभा चुनाव में प्रदेश संयोजक की जिम्मेदारी संभाली.
हेमंत खंडेलवाल न केवल संगठनात्मक अनुभव रखते हैं, बल्कि उन्होंने पार्टी की विचारधारा और कार्यसंस्कृति के साथ गहरे संबंध बनाए रखे हैं.
मध्य प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की जगह लेंगे. पार्टी सूत्रों का कहना है कि सिर्फ एक ही नामांकन दाखिल कराया जाएगा ताकि निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो सीएम मोहन यादव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद हेमंत खंडेलवाल के ही नामांकन दाखिल करने की प्रबल संभावना है
Hemant Khandelwal News: हेमंत खंडेलवाल को आज आधिकारिक तौर पर मध्य प्रदेश बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर दिया गया है. चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने यह घोषणा की. विधायक हेमंत पार्टी के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं.
जिस हेमंत खंडेलवाल को आज BJP ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, उसे एक समय बैतूल से विधानसभा का टिकट नहीं मिला था. उस समय हेमंत खंडेलवाल ने न तो सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर की, न आलाकमान से शिकायत की, न ही कोई ऐसी बयानबाजी की, जिससे उनकी छवि खराब हो.