गोपाष्टमी (Gopashtami) हिंदू धर्म में गोपाष्टमी का विशेष महत्व है. इस दिन गौ माता और उनके बछड़ों को सजाया जाता है और उनकी विधिवत पूजा की जाती है. यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. ये मथुरा, वृंदावन समेत ब्रज क्षेत्रों का प्रसिद्ध त्योहार है.
हिंदू धर्म में मान्यता है कि गौ माता का पूजन करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसलिए इस दिन गायों की पूजा करना बेहद शुभ और फलदायी माना गया है. इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं (Gopashtami, worship of Cow and Calf).
गोपाष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद मंदिर की सफाई की जाती है. इसके बाद मंदिर में गाय और उनके बछड़े के साथ एक तस्वीर लगाकर, घी का दीपक जलाया जाता है. फिर फूल अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन गाय को अपने हाथों से हरा चारा खिलाना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए. अगर अपने घर के आसपास गाय ना मिले तो गौशाला में जाकर गाय की सेवा कर किया जा सकता है. पूजा के लिए गाय को स्नान कराने के बाद रोली-चंदन से तिलक लगाकर फूल चढ़ाया जाता है. साथ ही भोग लगाकर पूजा की जाती है. इस दिन गाय को चारे के साथ ही गुड़ का भी भोग लगा जाता है (Gopashtami Rituals).
गोपाष्टमी कार्तिक मास की एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो श्रीकृष्ण की गोसेवा से जुड़ी है. यह पर्व ब्रज क्षेत्र की लोकपरंपरा का हिस्सा है और इसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जितना ही महत्व दिया जाता है. इस दिन गायों की पूजा की जाती है और उन्हें माता का दर्जा दिया जाता है.