फारूक अब्दुल्ला, राजनेता
फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं (Farooq Abdullah President of National Conference). उन्होंने 1982 से कई मौकों पर जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है (Farooq Abdullah CM Jammu and Kashmir), और 2009 और 2014 के बीच केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री (Farooq Abdullah Union Minister for New and Renewable Energy) रहे हैं. वह जम्मू और कश्मीर के पहले निर्वाचित प्रधान मंत्री शेख अब्दुल्ला के बेटे (Son of Sheikh Abdullah) और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पिता हैं (Father of Umar Abdullah).
फारूक अब्दुल्ला का जन्म जन्म 21 अक्टूबर 1937 (Date of Birth) को अनुभवी राजनेता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता शेख अब्दुल्ला और बेगम अकबर जहान अब्दुल्ला के घर हुआ था (Farooq Abdullah Parnets). उन्होंने टिंडेल बिस्को स्कूल में पढ़ाई की, और बाद में एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद, उन्होंने बतौर एक डॉक्टर काम करने के लिए यूके की यात्रा की (Farooq Abdullah Education).
उन्होंने ब्रिटिश मूल की नर्स मौली से शादी की है (Married to British Nurse Molly). उनका एक बेटा उमर और तीन बेटियां साफिया, हिना और सारा हैं (Farooq’s Children). उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में शामिल हैं और लोकसभा के सदस्य होने के अलावा जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. सारा की शादी कांग्रेस नेता सचिन पायलट से हुई है.
फारूक अब्दुल्ला 1980 के आम चुनाव में श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र से निर्विरोध लोकसभा के लिए चुने गए थे. वह अगस्त 1981 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे. इसके बाद वह 1982 से 1984 और फिर 1996 से 2002 तक जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे. फारूक अब्दुल्ला पहली बार 2002 और उसके बाद 2009 में जम्मू और कश्मीर से राज्यसभा के लिए चुने गए. उन्होंने मई 2009 में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और श्रीनगर से लोकसभा सीट जीती. अब्दुल्ला ने 2014 में फिर से श्रीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार तारिक हमीद कर्रा से हार गए. 2017 में, श्रीनगर संसदीय सीट के लिए उपचुनाव हुआ और अब्दुल्ला पीडीपी उम्मीदवार नजीर अहमद खान को हराकर संसद पहुंचे (Farooq Abdullah’s Political Career).
16 सितंबर 2019 को, अब्दुल्ला सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए जाने वाले पहले मुख्यधारा के राजनेता बने. इससे पहले, अब्दुल्ला भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद से नजरबंद थे. उन्हें 13 मार्च 2020 को साढ़े सात महीने के बाद पीएसए के तहत नजरबंदी से रिहा किया गया था.
इनका ऑफिशियल ट्विटर हैंडल @F_Abdullah01 नाम से है.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैंने अपनी ज़िंदगी में बहुत बार केंद्र शासित प्रदेश को राज्य (स्टेट) बनते देखा है, लेकिन पहली बार देखा कि एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि हम मुसलमान हैं. फारूक ने कहा कि हमने पाकिस्तान को नकारा था, जबकि वो हमारे दरवाज़े पर थे.
राष्ट्रीय कांफ्रेंस NC) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिका की एयर स्ट्राइक को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है. फारूक अब्दुल्ला ने इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच कहा कि अगर कोई सोचता है कि ईरान अपने हथियार छोड़ देगा तो यह गलतफहमी है. देखिए पूरा बयान.
इजरायल-ईरान के बीच जारी संघर्ष पर प्रतिक्रिया देते हुए फारूक अब्दु्ल्ला ने कहा कि मैं निराश हूं, मुस्लिम वर्ल्ड चुप है, आगर आज नहीं जागे तो अन्य देशों को अपनी बारी का इंतजार करना होगा.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर गृहमंत्री ने चार दिन पहले दावा किया था कि कश्मीर से आतंकवाद पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, तो फिर यह हमला कैसे हुआ? यहां लेफ्टिनेंट गवर्नर हैं, उनके खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई हुई? गृहमंत्री खुद कुछ दिन पहले कश्मीर आए थे और दावा किया कि आतंक का नेटवर्क खत्म हो चुका है, तो फिर ये चार आतंकी कैसे आए?
फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार सुबह नौगाम रेलवे स्टेशन से से कटरा तक वंदे भारत ट्रेन में यात्रा की. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए वंदे भारत ट्रेन को जम्मू-कश्मीर के लिए बड़ी सौगात बताया और कहा कि ये ट्रेन स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'हमें कटरा जाकर लोगों से अपील करनी चाहिए कि वे माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आएं. पवित्र यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट देखी गई है. हाल ही की पहलगाम घटना का असर पूरे देश में महसूस किया गया है.'
पहलगाम आतंकी हमले के बाद से कश्मीर के लिए पर्यटन को ज्यादा बढ़ावा देने का जिम्मा अब खुद सीएम उमर अब्दुल्ला ने उठा लिया है. इसी कड़ी में सीएम पहलगाम पहुंचे जहां पर उन्होंने मुख्य सड़क पर साइकिल चला कर ये संदेश दिया कि कश्मीर में सब सुरक्षित हैं.
J&K के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि जंग किसी भी मसले का हल नहीं है और यह सिर्फ बर्बादी लाती है. पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे कश्मीर में पर्यटन काफी हद तक प्रभावित हुआ है, जबकि इस साल करोड़ों पर्यटकों के आने की उम्मीद थी.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि एक गोली चल जाए तो लोग भाग जाते हैं. उन्होंने कहा कि अब वापस आना चाहिए कश्मीर. पूर्व मुख्यमंत्री उद्योंगों की तरफ जाने की जरूरत पर भी बल दिया.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इस घटना की कड़ी निंदा की. उन्होंने आतंक के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने की अपील की और इन हमलों को इंसानियत का दुश्मन करार दिया. सिंधु जल समझौता पर भारत सरकार को दोबारा विचार करने की जरूरत है. फिलहाल वर्तमान में इस संधि से जम्मू-कश्मीर को नुकसान हो रहा है.
पहलगाम दौरे पर आए फारूक अबदुल्ला ने हालिया घटना के बाद भी वहां पहुंचे लोगों के हौसले की सराहना की. उन्होंने कहा, 'भारतीय डरता नहीं हैं, और यह संदेश दुनिया के लिए है'. उन्होंने आतंकवाद को मिलकर शिकस्त देने का आह्वान किया और कहा कि पड़ोसी मुल्क को कड़ा संदेश देने का वक्त आ गया है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को एक 'नाकाम मुल्क' बताया है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान जंग के कगार पर हैं और पूरी दुनिया इस जंग को रोकने की कोशिश कर रही है. पहले पाकिस्तान से बातचीत की वकालत करने वाले फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उन लोगों को पकड़ा जाना चाहिए जिन्होंने 'ये' किया है और जो उनके चलाने वाले हैं.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को लताड़ लगाई है. उन्होंने कहा, पीड़ितों और उनके परिवारों को देखते हुए क्या बातचीत करना इंसाफ होगा? आज भारत चाहता है की ऐसा एक्शन लिया जाए कि आज के बाद ऐसी घटनाएं ना हो.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का एक बड़ा बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार किया. पहलगाम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने वहां इंसानियत की हत्या की है. अब्दुल्ला ने सवाल उठाया, "जो मारे गए उनके घर वालों को हम क्या जवाब देंगे? देखें...
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के काफिले में शामिल एस्कॉर्ट कार का एक्सीडेंट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर हुआ। नीलगाय के अचानक सड़क पर आ जाने से कार को नुकसान हुआ, लेकिन फारूक अब्दुल्ला सुरक्षित हैं। जानिए इस हादसे की पूरी कहानी।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला कटरा में एक भजन कार्यक्रम में शामिल हुए और 'तूने मुझे बुलाया शेरा वालिये' गाकर सभी को चौंका दिया। उनके इस भजन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस दौरान उन्होंने रोपवे परियोजना के खिलाफ स्थानीय विरोध का समर्थन किया और धर्म के दुरुपयोग पर भी अपनी राय रखी।
RAW के पूर्व प्रमुख AS दुल्लत ने अपनी नई किताब में दावा किया है कि अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर फारूक अब्दुल्ला केंद्र के साथ आ सकते थे. फारूक अब्दुल्ला ने इस दावे को झूठा बताया है और किताब को बेचने के लिए सस्ती पब्लिसिटी का स्टंट करार दिया है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला किताब के लॉन्च कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.
उमर अब्दुल्ला ने यह नहीं बताया कि दुलत ने अपनी पिछली किताब में महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के बारे में क्या लिखा था. लेकिन यह स्पष्ट है कि उमर यहां एएस दुलत की 2015 में पब्लिश किताब Kashmir: The Vajpayee Years की बात कर रहे हैं.
रॉ के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत ने अपनी नई किताब में दावा किया है कि फारूक अब्दुल्ला अनुच्छेद 370 हटाने के गुप्त समर्थक थे. दुलत ने लिखा है कि अगर केंद्र सरकार नेशनल कॉन्फ्रेंस को विश्वास में लेती तो वह अनुच्छेद 370 हटाने के प्रस्ताव को पास करने में मदद करती. फारूक अब्दुल्ला ने इन दावों को खारिज करते हुए इसे किताब की बिक्री बढ़ाने का स्टंट बताया है.
पूर्व आईबी चीफ की नई किताब में दावा किया गया है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला अनुच्छेद 370 पर नरेंद्र मोदी सरकार का साथ देने को तैयार थे. किताब के अनुसार, अगर सरकार ने उन्हें विश्वास में लिया होता तो जम्मू-कश्मीर विधानसभा में इसे पारित भी कराया जा सकता था.
पूर्व रॉ के पूर्व प्रमुख ए एस दुलत ने अपनी नई किताब में दावा किया है कि फारूक अब्दुल्ला धारा 370 हटाने के पक्ष में थे. फारूक अब्दुल्ला ने इस दावे को खारिज किया है. पीडीपी और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को घेर रहे हैं. दुलत ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला आहत थे कि उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया और वे विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवा सकते थे. देखें रणभूमि.